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Gwalior PHE Scam: 16 करोड़ के घोटाले में क्लर्क व कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ FIR दर्ज, जानिए-फर्जीवाड़े की पूरी कहानी - तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज

ग्वालियर के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) दफ्तर में हुए 16 करोड़ 42 लाख रुपए के घोटाले में ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने 3 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है. घोटाले के मास्टरमाइंड बाबू ने कंप्यूटर ऑपरेटर अपने भतीजे की मदद से रिश्तेदारों के 71 बैंक खातों में घोटाले की रकम को ट्रांसफर किया. जानिए करोड़ों के घोटाले की पूरी कहानी.. परत दर परत.

Gwalior PHE Scam
16 करोड़ के घोटाले में क्लर्क व कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर

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Published : Aug 8, 2023, 1:03 PM IST

16 करोड़ के घोटाले में क्लर्क व कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर

ग्वालियर।ग्वालियर के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) के खंड क्रमांक-1 में 16 करोड़ 24 लाख रुपए की गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद कार्यपालन यंत्री संजय सोलंकी की शिकायत पर बाबू हीरालाल और कंप्यूटर ऑपरेटर राहुल आर्य सहित 3 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. घोटाला सामने आते ही आरोपी राहुल आर्य खुद के किडनैपिंग की कहानी रचकर फरार हो गया था, जिसे क्राइम ब्रांच ने हरिद्वार से ढूंढ़ निकाला है. इस मामले की पड़ताल के लिए सोमवार को क्राइम ब्रांच PHE और ट्रेजरी विभाग से दस्तावेज जुटाएगी. वहीं क्राइम ब्रांच ने किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी अभी नहीं की है.

ऐसे पकड़ में आया घोटाला :अधिकारियों- कर्मचारियों की साठगांठ से करोड़ों रुपए का घोटाला स्टेट सर्विलेंस टीम की निगाह में आने के बाद वित्त विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं. वहीं अधीक्षण यंत्री ग्वालियर मंडल ने भी जांच के लिए 5 सदस्यों की टीम बना दी है, जो 7 दिन में अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपेगी. साथ ही जिले के सभी कार्यपालन यंत्रियों को उनके यहां हुए भुगतान की जांच कर प्रमाण पत्र देने को कहा है. घोटाले में कोषालय (ट्रेजरी) भी संदेह के घेरे में है. इस मामले की जानकारी संभागीय कमिश्नर दीपक सिंह को भी दे दी गई है. घोटाला बीते 5 सालों में हुआ है. स्टाफ सैलेरी और बिल के जरिए भी कुछ राशि निकाली गई है. वेतन और एरियर के नाम पर खेल किया गया है. इस मामले में एएसपी क्राइम ब्रांच ऋषिकेश मीणा का कहना है कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है.

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रिश्तेदारों के खाते में रकम ट्रासंफर :बता दें कि अब तक विभागीय जांच और कोषालय द्वारा की गई जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी बाबू हीरालाल को आहरण एवं संवितरण अधिकारी (DDO) संजय सिंह सोलंकी ने ही हीरालाल को ट्रेजरी में लेनदेन के अधिकार संबंधी आईडी पासवर्ड दे रखा था और इसका गलत फायदा उठाकर उसने नंबरों में हेरफेर कर अपने रिश्तेदारों के खातों में राशि ट्रांसफर कर दी. विभागीय जांच के दौरान सोलंकी बताया कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया था कि कर्मचारियों के वेतन- भत्तों के भुगतान में देरी न हो. वहीं अब तक विभाग के खाते में 2 करोड़ 58 लाख रुपए जमा हो चुके हैं, लेकिन करोड़ों के घोटाले पर सवाल भी उठ रहे हैं. सब कुछ उजागर होने के बाद भी अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई और घोटाले के जिम्मेदार अधिकारी अभी भी अपनी कुर्सी पर जमे हुए हैं.

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