ग्वालियर। बागेश्वर धाम से जुड़े धीरेंद्र शास्त्री ने विगत दिवस कहा था कि एक समय था जब उनके खुद के लिए भोजन जुटाना मुश्किल था, लेकिन आज वे हजारों लोगों को रोज भंडारे में भोजन करवाते है. जी हां धार्मिक आयोजनों में रोज और समापन के मौके पर होने वाले भंडारों में हजारों नहीं बल्कि लाखों श्रद्धालु भोजन करते है, और यह प्रसाद होता है. इसलिए लोग जी भरकर लुत्फ उठाते है. इस समय ग्वालियर जिले के घाटीगांव इलाके में स्थित सिरसा के देव नारायण मंदिर पर चल रही कथा में रोज पचास हजार से ज्यादा लोग भंडारे में भोजन प्रसादी पा रहे है.अब तक तीन लाख लोग कर चुके हैं भोजन. इतने लोगों के लिए भोजन बनाने की बात सुनकर ही आप चौंक सकते है.आपको बताते है वहां कैसे बन रहा है यह भण्डारे का भोजन.
भागवत कथा में रोज पहुंचते हैं 50 हजार श्रद्धालुःदेव नारायण मंदिर पर चल रही इस भागवत कथा में लगभग पचास हजार श्रद्धालु रोज पहुंचते है. दोपहर में कथा विश्राम के बाद सबके लिए भंडारे की व्यवस्था रहती है. बैठक व्यवस्था एक किलोमीटर दूर तक खेतों में रहती है. इस भंडारे में आया हर व्यक्ति बगैर प्रसादी के न जाये इस बात के लिए लगातार एनाउंसमेंट किया जाता है.व्यवस्थापकों का कहना है कि भंडारे के लिए बनने वाली खीर के लिए रोजाना 40 क्विंटल दूध की जरूरत होती है.बाजार से नहीं लिया जाता बल्कि ग्रामीणों द्वारा खुद के घरों से संग्रहित किया जाता है. इसके लिए आपस में रोटेशन तैयार कर लिया गया है. यह दूध एकदम शुद्ध होता है और फिर यहां इससे बड़े- बड़े कढ़ाहों में निरंतर खीर बनती रहती है. इनको स्टोर करने के लिए ईंट और सीमेंट से बड़े-बड़े हौद बनाये गए हैं.पकने के बाद इसे उन्हीं में भरकर रखा जाता है और खाली कढ़ाहे पर फिर दूध से खीर बनने लगती है.