डिंडौरी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार ने भले ही देश को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया हो. लेकिन डिंडौरी जिले में जमीनी स्तर की तस्वीरें कुछ और ही हकीकत बयां करती हैं. जिले के प्रशासनिक अधिकारियों लोगों को जागरुक करने के भरकस प्रयास किेए हैं. लेकिन अब भी कई गांव के लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं. ईटीवी भारत ने जब जिले के शहपुरा जनपद की पड़ताल करने पहुंचा तो लोग खुले में शौच करते हुए पाए गए.
डिंडौरी से आए चौकाने वाले आंकड़े, 100 में से केवल 55 प्रतिशत लोग कर रहे शौचालय का इस्तेमाल - etv bharat
डिंडौरी जिलें में खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए शासन और प्रशासन लाख कोशिश कर रहा है, लेकिन जागरुकता की कमी के कारण लोगआज भी खुले में शौच करते हुए पाए जाते हैं.
आदिवासी जिला होने के कारण यहां के सातों विकासखंड में अधिकतर जंगली इलाकों में बैगा जनजाति निवास करती है. यहां प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती शौचालय बनाना था. लेकिन जैसे तैसे प्रशासन ने शौचालय बना तो दिए पर लोगों में आज भी जागरुकता की कमी के कारण वह खुले में ही शौच कर रहे हैं. आकड़ों की माने तो 100 प्रतिशत में 55 प्रतिशत लोग शौचालय का उपयोग करते हैं.
ऐसा ही हाल शहपुरा नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नं तीन का है. वार्ड के निवासी लक्ष्मण और तेजी लाल से बात की गई तो उन्होंने बेझिझक ईटीवी भारत से बताया कि वे और उनके परिवार सहित आसपास के लोग भी शौचालय न बनने के कारण खुले मैदान में जाने को मजबूर हैं. शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक भूपेंद्र मरावी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि पूर्व की सरकार में शौचालयो का निर्माण घटिया कराया गया था और कई गांवों में तो निर्माण की राशि भी नहीं दी गई है.