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अनोखी परंपरा! बैगा महिलाओं के संघर्ष की कहानी, देह बन जाती है कैनवास - डिंडोरी लेटेस्ट न्यूज

टैटू शहरी संस्कृति में अपना स्थान बना चुका है और लोग शरीर के कई हिस्सों में टैटू बनवाते हैं. टैटू बनवाना बेहद कष्टदायक होता है इसलिए लोग छोटे-छोटे टैटू बनवाते हैं. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत की 1 जनजाति आज भी अपने पूरे शरीर पर टैटू बनवाती है. जी हां बैगा जनजाति की महिलाएं पूरे शरीर पर गोदना करवाती हैं.

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बैगा महिलाओं के संघर्ष की कहानी

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Published : Apr 17, 2023, 3:12 PM IST

Updated : Apr 17, 2023, 5:57 PM IST

बैगा जनजाति की महिलाएं पूरे शरीर पर गोदना करवाती हैं

डिंडोरी।'गोदना' का शाब्दिक अर्थ शरीर में किसी नुकीली चीज से छेद करने से है. इसीलिए जब किसी को कोई नुकीली चीज शरीर के भीतर चढ़ाई जाती है तो उसे गोदना कहा जाता है. लेकिन बैगा आदिवासियों में गोदना का अर्थ शरीर पर कुछ आकृतियां बनवाने से है और इसे कला का नाम भी दिया गया है. इसमें गोदना करने वाले कलाकार का कैनवास किसी का शरीर होता है और उसके पास ब्रश या पेन की जगह नुकीली चीज होती है. रंगों की जगह कुछ जंगली फल, पलाश के फूल और प्राकृतिक रंग होते हैं. जिन्हें एक सुई के जरिए शरीर में सुराग करके डाला जाता है. यह त्वचा पर ऐसा स्थाई प्रभाव छोड़ते हैं कि इसका रंग शरीर पर जीवन भर बना रहता है.

अनोखी मान्यता:बैगा जनजाति की महिलाएं पूरे शरीर पर गोदना करवाती हैं. दरअसल इनकी मान्यता है कि गोदना मृत्यु के बाद भी शरीर के साथ जाता है और जब किसी महिला की मौत हो जाती है तो वह मृत्यु लोक में गोदना बेचकर अपना जीवन यापन करती है. इसलिए बैगा महिलाएं ज्यादा से ज्यादा गोदना करवाने के लिए इच्छुक रहती हैं. 'गोदना' की आकृति आभूषण के रूप में होती है, इसलिए शरीर में जहां-जहां आभूषण पहने जा सकते हैं वहां यह आकृतियां बनवा लेते हैं और यह आकृतियां आभूषणों के जैसी ही दिखती है. इसलिए इनके माथे पर कानों में हाथों में गले में पीठ पर पैर में घुटनों तक मतलब शरीर में जहां-जहां भी आभूषण पहने जाते हैं, वहां आभूषणों की आकृति गोदना के जरिए उकेरी जाती है. इसमें इन महिलाओं को असहनीय तकलीफ से गुजर ना होता है लेकिन फिर भी यह परंपरा निभाती हैं.

महंगा सौदा:बैगा जनजाति के लोग बेहद गरीब होते हैं. इनके पास पैसे नहीं होते. एक बैगा महिला के पूरे शरीर पर गोदना करने के लिए ₹1000 से ज्यादा का खर्च होता है, जो इनके लिए बड़ी रकम है. लेकिन यह इसके लिए पैसा बचाती हैं और शरीर पर टैटू बनवाती हैं. एक जमाने में ऐसी मान्यता थी कि यदि बैगा महिला अपने शरीर पर गोदना नहीं करवाती थी तो उसकी शादी नहीं होती थी. इसलिए तकलीफ देने के बाद भी गोदना करवानी पड़ता था. वहीं, दूसरे यह बैगा महिलाओं की पहचान थी. लेकिन बदलते दौर में स्कूलों के आने के बाद इनके गोदना पर सवाल खड़े होने लगे और धीरे-धीरे कुछ बेगा बच्चों ने इससे किनारा करना शुरू कर दिया है. इसलिए इस परंपरा से जुड़े कलाकारों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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बैगा महिलाओं के संघर्ष की कहानी:इसके पीछे एक कहानी और भी है. बैगा महिलाएं बताती हैं कि किसी समय बैगा जनजाति का एक राजा हुआ करता था जो रोज एक नई महिला के साथ संबंध बनाता था और इसके बाद बैगा महिला के शरीर पर गोदना का चिन्ह बना दिया जाता था, ताकि निशान बना रहे. डरी हुई महिलाओं ने अपने शरीर पर गोदना आकृति बनवाना शुरू कर दिया, फिर धीरे-धीरे मान्यता बदली और इसने एक कला का रूप ले लिया. आज इनके शरीर पर जो आकृतियां होती हैं वह कला का सबसे पुराना और जिंदा नमूना है.

शहरों में टैटू का क्रेज: हालांकि अब नए युवा इस परंपरा से थोड़ी दूरी बना रहे हैं और भी पूरे शरीर पर गोदना नहीं करवाते. एक तरफ जंगल में लोग गोदना छोड़ रहे हैं वहीं दूसरी ओर शहरों में लोग टैटू पकड़ रहे हैं. शरीर को सजाने की यह प्रक्रिया अपना पुराना स्वरूप छोड़ रही है और नया स्वरूप ले रही है.

Last Updated : Apr 17, 2023, 5:57 PM IST

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