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अभावों में संवर रहा बच्चों का भविष्य, न पंखा, न बिजली, खपरैल में मिल रही तालीम

देवास के हाटपिपल्या के बड़िया मांडू गांव के छात्र-छात्राएं एक ऐसे सरकारी स्कूल में तालीम ले रहे है जहां खपरैल की छत है. स्कूल भवन के कमरों ना तो पंखे ना ही फर्नीचर. ज्यादा कमरे नहीं होने के कारण 55 छात्रों को एक साथ एक कमरे में बैठक कर पढ़ना पढ़ता हैं

खपरैल में तालीम

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Published : Nov 24, 2019, 3:12 PM IST

Updated : Nov 24, 2019, 4:29 PM IST

देवास। पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया पर सरकारी स्कूलों के बच्चों को कब अच्छी व्यवस्था मिलेगी ये अभी भी प्रश्न चिन्ह बना हुआ है. एक तरफ तो सरकार चुनाव के समय शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए बड़े-बड़े वादे करती हैं, पर जब उन वादों का रियलिटी चैक किया जाता है तब कहानी का पहलू ही बदल जाता है.एक ऐसा ही मामला देवास के हाटपिपल्या के अंदर आने वाला बड़िया मांडू गांव का है. जब ईटीवी भारत ने गांव के शासकीय स्कूल का रियलिटी चैक किया तो सरकार के वादों की हकीकत कुछ और ही सामने आई.

खपरैल में तालीम

बिना पंखें और फर्नीचर के चल रहा स्कूल

हाटपिपल्या के बड़िया मांडू गांव में 2017 से हाई स्कूल शुरु किया गया था. तब से लेकर आज तक स्कूल पूराने भवन में ही लग रहा है. अगर स्कूल में छात्रों के लिए व्यवस्था की बात की जाए तो उसके भी हाल बेहाल हैं. स्कूल भवन में ना तो पंखें हैं ना ही छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर.

एक साथ बैठ कर पढ़ते है लगभग 55 बच्चे

वहीं 10वी में पढ़ने वाली छात्रा प्रियंका ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई तो ठीक है पर फर्नीचर नहीं होने कि वजह से बैठने में काफी दिक्कत होती है. बिल्डिंग नहीं होने से भी बहुत परेशानी होती है. स्कूल भवन में ज्यादा कमरे नहीं होने की वजह से 50-55 बच्चों को एक साथ बैठना पड़ता है.

बरसात में छत से टपकता है पानी

हाई स्कूल प्रभारी प्राचार्य बाबूलाल मालवीय ने बताया कि स्कूल शुरू हुए तीसरा सत्र चल रहा है, अभी तक बच्चों को मिडिल स्कूल की पुरानी बिल्डिंग में बैठा रहे हैं, जिससे बहुत ज्यादा परेशानी होती है. हमने हमारे स्तर से उच्च अधिकारियों को सभी कागज दे दिए हैं, पर वहां से अभी तक स्वीकृत नहीं हुई है. आगे उन्होंने कहा कि छत ना होने के कारण बरसात में पानी टपकता है जिससे बच्चों को बहुत दिक्कतें होती है.

मामला प्रोसेस में है

ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नरेश प्रताप सिंह ने कहा कि स्कूल की बिल्डिंग के लिए हमने शासन स्तर पर प्रोसेस कर दिया है, चूंकि शासन स्तर का मामला है तो मामला प्रोसेस में है. साथ ही फर्नीचर के मामले में स्थानीय स्तर पर भी प्रयास किया गया है. पाठय पुस्तक निगम को भी मांग पत्र दिया गया है. वहीं बिजली खर्च का वहन सरकार ही करेगी.

एक तरफ तो कहा जाता है कि बच्चे देश का भविष्य होते हैं, लेकिन दूसरी तरफ उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाता है,उनको मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं कराई जाती हैं,अगर ऐसा ही हाल रहा तो सोचिए कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया.

Last Updated : Nov 24, 2019, 4:29 PM IST

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