MP उपचुनाव: हाटपिपल्या विधानसभा सीट पर है कड़ा मुकाबला, जानें क्या हैं सियासी समीकरण - hatpipalya assembly seat
मध्यप्रदेश उपचुनाव के लिए देवास जिले की हाटपिपल्या विधानसभा सीट कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है. पूर्व विधायक मनोज चौधरी बीजेपी प्रत्याशी हैं, जो सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. तो वहीं कांग्रेस ने राजवीर सिंह बघेल को मैदान में उतारा है.
बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी
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Published : Oct 22, 2020, 1:27 PM IST
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Updated : Nov 2, 2020, 2:50 PM IST
देवास। मध्यप्रदेश में 3 नवम्बर को 28 विधानसभा में उपचुनाव का बिगुल बज चुका है, सियासी घमासान के बीच देवास जिले की हाटपिपल्या विधानसभा सीट कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है. हाटपिपल्या भगवान नृसिंह की नगरी मानी जाती है, जहां से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कैलाश जोशी का गृह नगर है. यह सीट सिंधिया समर्थक विधायक मनोज चौधरी के इस्तीफे के बाद रिक्त हुई, बीजेपी ने यहां से पूर्व विधायक मनोज चौधरी को ही मैदान में उतारा है.
2018 विधानसभा चुनाव
हाटपीपल्या से पूर्व सीएम कैलाश जोशी के पुत्र और प्रदेश के पूर्व मंत्री दीपक जोशी लगातार दो बार विधायक रहे, लेकिन 2018 में उन्हें लगभग 13 हजार 5 सौ वोटों से हार का सामना करना पड़ा. दीपक जोशी को कांग्रेस के टिकट पर पहली ही बार चुनाव लड़े रहे मनोज चौधरी ने हरा दिया था. अब चौधरी भाजपा के टिकट पर उम्मीदवार हैं. कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे राजवीर सिंह बघेल के पिता और पूर्व विधायक ठाकुर राजेन्द्र सिंह बघेल साल 2008 का विधानसभा चुनाव मनोज चौधरी के पिता नारायण सिंह चौधरी के कारण ही 220 मतों से हार गए थे.
हाटपिपल्या विधानसभा सीट उपचुनाव में महत्वपूर्ण
नारायण सिंह चौधरी जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुके हैं, उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर 2008 में निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा था. अब राजवीर सिंह बघेल के सामने अपने पिता की हार का बदला लेने का ये एक सुनहरा मौका है. उस समय खाती समाज ने नारायण चौधरी के साथ एकजुट होकर मतदान किया था, जिसके कारण वो लगभग 22 हाजर से ज्यादा मत लेकर आए और राजेन्द्र सिंह बघेल चुनाव हार गए थे. दोनों के बेटे आमने- सामने हैं.
ये समाज चुनाव को कर सकते है प्रभावित
उपचुनाव में पाटीदार, सेंधव और राजपूत मतों का खाती समाज के खिलाफ ध्रुवीकरण हो सकता है और इसका खामियाजा मनोज चौधरी को भुगतना पड़ सकता है, साथ ही पूर्व मंत्री दीपक जोशी की नाराजगी का भी असर चुनाव में देखने को मिल सकता है, आने वाला समय ही बताएगा कि राजनीति का ये ऊंट अब किस करवट बैठेगा.
हाटपीपल्या विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में मतदाताओं की संख्या 1 लाख 91 हजार 410 है. जिसमें-
पुरुष मतदाताओं की संख्या
महिला मतदाताओं की संख्या
अन्य
98 हजार 656
92 हजार 751
3
हाटपीपल्या विधानसभा क्षेत्र में 288 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं, जिसमें 252 मुख्य, 36 सहायक मतदान केन्द्र और 62 क्रिटीकल मतदान केन्द्र हैं. वहीं पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में हाटपीपल्या विधानसभा में बीजेपी प्रत्याशी दीपक जोशी को 69,818 वोट मिले थे और कांग्रेस प्रत्याशी मनोज चौधरी को 83 हजार 337 वोट मिले थे.
प्रत्याशियों का प्रोफाइल
2018 विधानसभा चुनाव में सिंधिया खेमे के भाजपा प्रत्याशी मनोज चौधरी ने अपने राजनीतिक करियर का पहला चुनाव लड़ा और भाजपा के पूर्व मंत्री और हाटपीपल्या के पूर्व विधायक दीपक जोशी को हराया था. वहीं राजवीर सिंह बघेल अपनी ही पार्टी के खिलाफ सोनकच्छ से नगर परिषद का चुनाव लड़े और 2 बार अध्यक्ष बने.
बीजेपी प्रत्याशी का दावा
क्षेत्र की समस्या और मुद्दे
सड़कें:पूरे क्षेत्र में ग्रामीण इलाका इतने सालों के बाद भी उपेक्षा का शिकार है. अनेक हिस्सों में सड़कों का अभाव साफ तौर पर देखा जा सकता है. हाटपिपल्या का मुख्यमार्ग ही गड्ढों से भरा है. सालों से लोगों की मांग के बावजूद इंदौर-भोपाल हाईवे के नेवरी फाटा से चापड़ा तक का मार्ग आज भी जर्जर है, जो देवास मुख्यालय को अन्य तहसीलों से जोड़ने का मुख्य रास्ता है. हाटपिपल्या से चापड़ा चौपाटी तक का 6 किलोमीटर का रास्ता भगवान भरोसे है, जहां बाइक चालक अपनी जान जोखिम में डालकर सफर तय करने जैसा है. आज भी क्षेत्र की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है.
बिजली और पानी: बिजली की निर्बाध आपूर्ति क्षेत्र में जारी है. क्षेत्र में 13 से अधिक विद्युत उपकेंद्रों की स्थापना की गई है और मंत्री दीपक जोशी के अनुसार 2 बड़े 133 kv के विद्युत केंद्र स्थापित किए गए हैं. पूरे हाटपिपल्या में जल वितरण की कोई व्यवस्था नहीं है. क्षेत्रवासी टैंकरों द्वारा या स्थानीय स्त्रोतों से पानी की कमी को पूरा करते हैं, जबकि लोदरी कालीसिंध लिंक योजना कई सालों से लंबित है, इस ओर कभी किसी जनप्रतिनिधि ने कोई जहमत नहीं उठाई. 8 गांवों में नलजल योजनाओं के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है.
शिक्षा और रोजगार: शिक्षा के मामलों में यहां पांच साल के बाद मंत्री के कौशल विकास का नमूना एक ITI के रूप में देखने को मिला है. वहीं राजोदा में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज की स्थापना हुई है. खेती- किसानी करने वाला ये विधानसभा क्षेत्र व्यापार और रोजगार के लिए नए अवसरों की तलाश में है. उच्च अध्ययन के लिए एक मात्र महाविद्यालय है, जिसमें भी विज्ञान विषय पढ़ने के लिए युवाओं को बाहर जाना ही पड़ता है. संसाधनों का अभाव है. लगभग 10 हाई स्कूल नए बनाए गए हैं. कहा जा सकता है कि, सरकार में शिक्षा और कौशल विकास मंत्री रहते दीपक जोशी ने अपने विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में और छात्र-छात्राओं के लिए नवीनतम व्यवस्थाएं की. दो करोड़ की लागत से ग्राम बरोठा में एक स्टेडियम निर्माण किया जा रहा है.
स्वास्थ्य: देवास विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए एक अस्पताल है. बाकी बड़े कस्बों में प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र काम कर रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों का अभाव सदैव बना रहता है. गुणवत्तापूर्ण इलाज और इमरजेंसी के लिए देवास या इंदौर जाना नियति बन गया है. एक मिशनरी का अस्पताल पिछले कई सालों से यहां समाज सेवा के कार्य में सलग्न है.
कांग्रेस प्रत्याशी का दावा
कानून व्यवस्था : गत वर्ष किसानों ने अपनी उपज के अधिक मूल्य की मांग करते हुए एक व्यापक आंदोलन शुरू किया था, जिसमें मंदसौर में कुछ किसानों ने पुलिस के गोली चालन में अपनी जान भी गंवाई थी. आंदोलन की आग ने देवास जिले को भी अपनी चपेट में ले लिया, जिससे काफी सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान उठाना पड़ा था. बागली थाने को आग के हवाले कर दिया था, वहीं हाटपिपल्या के थाने को घेर कर वहां रखे जब्त वाहनों को आग लगा दी गई थी. सरकार की उपेक्षा के चलते आक्रोशित किसानों ने नेवरी फाटाक पर कई चार्टर्ड बसों, दमकलों और कुल 13 वाहनों को आग के हवाले कर दिया. बमुश्किल प्रशासन ने स्थिति को काबू किया.
करीब 2 लाख 50 हजार की आबादी वाली इस विधानसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 1 लाख 91 हजार 410 के आसपास है. यहां पर राजपूत, खाती और सेंधव समाज के लोग अपना खासा प्रभाव रखते हैं. जो किसी भी चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं.