दमोह। जिले के हटा में शहर वासियों ने स्वावलंबन की एक मिसाल पेश की है. शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के शिकार हटा वासी पिछले कई साल से अपने शहर में साफ-सफाई, स्वास्थ्य और पानी की समस्या से निजात पाने जैसी कई मांगों को लेकर अड़े रहे लेकिन अधिकारियों की अनसुनी से तंग आकर लोगों ने खुद ही शहर में पनप रही समस्याओं से निपटने का बीड़ा उठा लिया.
जब जनता ने उठाया शहर सुधारने का जिम्मा तो जिम्मेदारों ने शर्म के मारे किया श्रमदान
दमोह के हटा में शहर वासियों ने जिम्मदारों की अनदेखी के बाद सफाई, पानी और अन्य समस्याओं निपटने का जिम्मा खुद उठाया और अस्पताल, तलाब समेत कई जगहों पर सफाई अभियान चलाया.
शर्म के मारे जिम्मेदारों ने सर झुकाकर किया श्रमदान
इतना ही नहीं यहां के नगरवासियों ने जब खुद आगे आकर समस्याओं से निपटने की ठानी तो अधिकारी भी शर्म के मारे इनके पीछे आ गए और काम मे हाथ बटाने लगे. हटा के बाशिंदों ने सबसे पहले तालाब में श्रमदान करते हुए खुद फावड़ा शहर के तालाबों की सफाई की, इसके बाद जलसंकट से जूझ रहे हैं वार्डों की बावड़ियों में खुद के खर्चे पर हेंडपंप लगवाये, जिससे लोगों को पानी की समस्या से राहत मिले.
अस्पताल में भी साफ सफाई
सरकारी अस्पताल में प्रबंधन के लिये फंड रहता है और मरम्मत के लिये पैसा भी आता है लेकिन वह पैसा अधिकारियों की मिलीभगत से बंदरबांट कर लिया जाता है, जिससे हटा अस्पताल की हालत खस्ता हो चली है. ऐसे में अस्पताल में लोगों ने जाकर साफ- सफाई, बंद पड़े कूलर-पंखों की मरम्मत की, चोक पड़े टैंक, नालियों की भी सफाई की और गड्डों में भरे गंदे पानी को जेसीबी की मदद से साफ कराया.
सरकार भले ही नागरिक कल्याण के लिये तरह-तरह की योजनाएं बना रही हो लेकिन इनके कारिंदे खुद योजनाओं को पलीता लगाते नजर आते हैं. हटा में पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य को लेकर असुविधायें नई नहीं हैं इन समस्याओं से शहर की जनता परेशान है और जबाबदेह चुप्पी साधे बैठे हैं.