दमोह। स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत दो अक्टूबर 2014 को की गई थी. इस योजना के तहत अक्टूबर 2019 तक सभी गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया जाना था, लेकिन पथरिया विधानसभा क्षेत्र इन सब बातों से अलग है. विधानसभा में करीबन 62 ग्राम पंचायतों में 84 से अधिक गांव हैं, जिसमें स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी गांवों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है, लेकिन अब भी आधे अधूरे ही शौचालय बने हुए हैं.
वाहवाही लूटने के लिए अफसरों ने छोटे गांवों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने के अभियान में शामिल कर लिया, लेकिन हकीकत यह है कि वहां भी शत-प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं हैं. ओडीएफ घोषित किए गए सासा और सरखड़ी गांव में हालत बदतर है. सासा के लोगों ने सरपंच-सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए बताया कि शौचालय निर्माण की राशि अपने निजी खर्चों में व्यय कर दी गई, जिससे कार्य अधूरे पड़े हुए हैं, जबकि सरखड़ी के लुहर्रा गांव में शौचालय आधे-अधूरे ही बन पाए है. इन गांवों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण के लिए हर लाभार्थी को बारह हजार रुपये दिए जा चुके हैं, लेकिन इतनी धन राशि में भी अधिकतर शौचालय बन नहीं सके. ऐसा इसलिए क्योंकि राशि ग्रामीणों तक पूरी पहुंची ही नहीं है.
यह दोनों गांव उन करीब 84 गांवों की सूची में है, जिन्हें खुले में शौच मुक्त घोषित किया जा चुका है. सासा एक बड़ा गांव है, जिसमें करीबन 250 घर हैं, जिनकी आबादी दो हजार से अधिक है. फिर भी यहां कुछ ही लाभार्थियों के नाम से शौचालय आवंटित किए गए हैं. केवल सरकारी कागजों में ही इन शौचालयों का प्रयोग हो रहा है, लेकिन मौके की तस्वीर कुछ अलग ही गवाही दे रही हैं. आधे-अधूरे शौचालय बने होने के चलते पुरुष और महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
इस पर जनपद अधिकारी का कहना है कि पथरिया ब्लॉक ओडीएफ हो जाने के चलते शौचालय बनाने की प्रक्रिया बन्द हो गई है. जिस योजना के तहत भारत शौच मुक्त होता है, वह अधूरे कार्यों के पड़े रहने से भी ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. सासा के लोगों ने कुटीर के एवज में पैसे मांगने जैसी बाते भी बताई है.
अधिकारियों की मिलीभगत से ग्रामीण मजबूरन कर रहे खुले में शौच