दमोह। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल दमोह प्रवास के दौरान जिला मुख्यालय पर स्थित दमयंती पुरातत्व संग्रहालय पहुंचे. जहां पर उन्होंने पुरातन देवी रुक्मणी की प्रतिमा का अवलोकन किया. साथ ही संग्रहालय में मौजूद भगवान विष्णु के अवतार हेग्रीव की प्रतिमा को देखते हुए पर्यटन मंत्री बताया कि यह प्रतिमा अनोखी होने के साथ ही बिरली भी हो सकती है. इस प्रतिमा के बिरली होने का विभागीय तौर पर पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं. प्रतिमा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार की जरूरत है.
अनूठी है पुरातत्व संग्रहालय में मौजूद हेग्रीव की प्रतिमा केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री बनने के बाद स्थानीय सांसद प्रहलाद सिंह पटेल जब भी दमोह पहुंचते हैं तो किसी ना किसी पुरातात्विक और पर्यटन संबंधी जगह पर जाकर वहां की जानकारी लेते हैं. जिसे वे अपने विभाग के माध्यम से प्रमोट भी करते हैं. पर्यटन मंत्री की इच्छा है कि जिले के पुरातात्विक महत्व की ऐतिहासिक जानकारी पूरे देश के लोगों तक पहुंचे.
अद्भुत है संग्रहालय में मौजूद हेग्रीव की प्रतिमा
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह प्रतिमा अनोखी और अद्भुत है. साथ ही इसके बिरली होने का पता लगाने का भी विभागीय तौर पर प्रयास किए जा रहे हैं. भगवान विष्णु के इस अवतार की प्रतिमा बहुत कम ही देखने को मिलती है. जिले के पुरातत्व संग्रहालय में मौजूद हेग्रीव की प्रतिमा की यह प्रतिमा निश्चित ही दमोह जिले से प्राप्त हुई है. जिससे जिले की ऐतिहासिक परंपरा का अंदाजा लगाया जा सकता है. वहीं पुरातत्व के जानकार बताते हैं कि जिले के मोहड़ नामक स्थान से टूटे हुए मंदिर के शिलाखंड से यह प्रतिमा प्राप्त हुई है.
विलक्षण प्रतिमाओं में शामिल हेग्रीव की प्रतिमा
लेकिन विभागीय जानकारी के मुताबिक हेग्रीव अवतार की प्रतिमाओं के बारे में ज्यादा कुछ इतिहास नहीं मिलता. पुरातत्व संग्रहालय में मौजूद हेग्रीव की प्रतिमा जिले में मोहन नाम की जगह से मिली है जो देश में विलक्षण है. इस अवतार की प्रतिमाएं देश के अनेक मंदिरों में बनाई गई होंगी और चित्र भी मौजूद होंगे. यदि कुछ जगहों पर यह प्रतिमा मिलती भी है, तो हेग्रीव की यह प्रतिमा भी उन विलक्षण प्रतिमाओं में शामिल होगी. पर्यटन मंत्री के मुताबिक तिरुपति के पास इसी नाम से एक देवता का मंदिर है और गुवाहाटी में भी विलुप्त प्राय स्मारक है. लेकिन यहां भी मूर्ति का उल्लेख नहीं है. इस तरह दमोह में मिली यह प्रतिमा पुरातत्व संग्रहालय की शान होने के साथ ही अमूल्य भी है.