छिंदवाड़ा। कोविड-19 की पहली लहर के दौरान इंजीनियर की नौकरी छोड़ कर अपने घर छिंदवाड़ा लौटे दो भाइयों ने फूलों की खेती कर नई इबारत लिखी है. दोनों भाई आज की तारीख में एक एकड़ जमीन पर देश के साथ-साथ विदेशों में बिकने वाले झरबेरा के फूलों की खेती कर हर महीने लाखों की कमाई खुद भी कर रहे हैं और आठ से 10 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
पॉलीहाउस फार्मिंग, 10-15 दिन की स्टोरेज कैपेसिटी
झरबेरा की खेती खुले आसमान के नीचे नहीं की जाती, इसके लिए पॉलीहाउस बनाना पड़ता है. दोनों भाइयों ने सरकारी सहायता से कर्ज लेकर पॉलीहाउस बनाया. इंजीनियर सौरभ रघुवंशी ने बताया कि फूल के स्टोरेज की कैपेसिटी 10 से 15 दिन की होती है, इसलिए इसकी डिमांड भी बाजार में ज्यादा होती है और शादियों के सीजन में मांग दोगुनी बढ़ जाती है.
अब किसानों को रुला रहा प्याज ! लागत मूल्य तक नहीं मिल रहा, खेतों में फेंकने का मजबूर
दूसरों को भी दे रहे रोजगार
कुछ महीनों पहले तक दोनों भाई जहां किसी कंपनी में नौकरी करते थे, दूसरे के लिए काम करते थे, अब वो खुद लोगों को रोजगार दे रहे हैं. साथ ही खुद भी हर महीने 4 से ₹5 लाख रुपए के फूल बेचते हैं. हालांकि युवा इंजीनियर्स का कहना है कि खेती करने के लिए काफी महंगी दवाइयां और खाद का उपयोग करना पड़ता है, तब जाकर झरबेरा का पौधा छिंदवाड़ा की जलवायु में तैयार हो रहा है. (polyhouse farming in Chhindwara) (Flower farming in Chhindwara) (engineer brothers of Chhindwara)