छिंदवाड़ा। पिछले कई दिनों से बारिश की बाट जोहते किसानों का हाल बेहाल हो गया है. पूरा सावन का महीना बीतने को है, लेकिन पर्याप्त बारिश नहीं होने के चलते किसानों की फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई है, जिसके चलते अन्नदाता अब बेहद परेशान हैं.
सूखने की कगार पर खरीफ फसल मक्के की फसल पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
कम बारिश का असर सबसे ज्यादा मक्के की फसल पर पड़ रहा है, क्योंकि मक्के की फसल को अच्छी बारिश की जरूरत होती है, लेकिन इस बार जिले में औसत से कम बारिश हुई है, जिसके चलते जिले में मक्का किसानों की हालत खराब है. किसानों का कहना है कि, एक तो पहले की इल्लियों के प्रकोप से फसल खराब हो रही है, ऊपर से बारिश कम होने से फसल को पानी कम मिल पाया है.
452.2 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई
छिंदवाड़ा जिले में अभी तक 452.2 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल इस अवधि तक 233.7 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई थी, इस हिसाब से इस साल वर्षा औसतन अधिक है, लेकिन जितनी फसल के लिए जरूरत है, उस हिसाब से अभी भी कम है.
पानी की कमी के चलते कीटों का प्रभाव ज्यादा
फसल में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलने के चलते कीटों का प्रभाव अधिक होता है, इसके चलते जिले में अब मक्के की फसल के अलावा सोयाबीन और मूंगफली में कीड़ों ने हमला कर दिया है. मक्के में फॉल आर्मीवर्म का असर दिख रहा है, तो सोयाबीन में येलो मोजेक और मूंगफली में जमीन में कीड़े लगने लगे हैं, जिससे किसानों के सामने फसल बर्बादी का खतरा बना हुआ है. हालांकि किसानों को उम्मीद है कि, अगर अभी भी समय रहते बारिश हो जाएगी, तो उनकी फसल में सुधार हो सकता है. इस वक्त किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है, एक तो बारिश की कमी से खरीफ की फसल सूखने की कगार पर है, तो वहीं दूसरी तरफ इल्लियों की वजह से फसल को नुकसान पहुंचा है, ऐसे में अगर जल्द बारिश नहीं हुई, तो फसल को और ज्यादा नुकसान होगा.