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जेल में बंद निर्दोषों के लिए बनाई गई कमेटी, नक्सलवाद पर ईटीवी भारत से बोलीं महामहिम

दिवाली मनाने गृह जिले छिंदवाड़ा आई छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने नक्सलवाद को रोकने के लिए हो रहे सरकार के प्रयासों पर चर्चा की.

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Published : Nov 16, 2020, 12:23 PM IST

Updated : Nov 16, 2020, 12:58 PM IST

Anusuiya Uike
अनुसुइया उइके

छिंदवाड़ा। दिवाली मनाने अपने गृह जिले छिंदवाड़ा आई छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ में पनप रहे नक्सलवाद और उनको रोकने के लिए हो रहे सरकार के प्रयासों पर चर्चा की.

अनुसुइया उइके से खास बातचीत

दूसरे प्रदेशों के माओवादी आकर आदिवासियों के हाथों में थमा देते हैं बंदूकें

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी भोले भाले हैं. आज भी आदिवासी इलाकों में विकास की कमी है, जिसे ढाल बनाकर दूसरे प्रदेश के माओवादी इन भोले-भाले आदिवासियों के हाथों में बंदूक थमा देते हैं. उनके लिए राजभवन से भी सरकारों को समय-समय पर चिंता जाहिर करते हुए उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

बालाघाट में हुई कथित नक्सली घटना पर भी राजपाल ने MP के सीएम को लिखा था पत्र

कुछ दिनों पहले बालाघाट में भी नक्सली हमला हुआ था, जो कथित रूप से फर्जी करार दिया गया था. जिसको लेकर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखते हुए निष्पक्ष जांच कराने की बात कही थी. राजपाल ने बताया कि इस पर मध्य प्रदेश सरकार ने एक कमेटी भी गठित की है और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का भी ऐलान किया है. इस मामले में कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी कि आखिर सत्यता क्या है.

केंद्र और राज्य सरकार मिलकर कर रही है काम, कोरोना काल में धीमा हुआ प्रयास

राज्यपाल अनुसुईया उइके ने बताया कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राज्य की सरकार प्रयास कर रही है, हालांकि कोरोना काल के दौरान काम थोड़ा धीमा हुआ है. लेकिन अब फिर से इलाकों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराकर लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा, ताकि लोग गलत रास्ता अख्तियार ना कर सकें.

मुख्यधारा से जुड़ रहे माओवादी बंदूक से कर रहे परहेज

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में देखा गया है कि छत्तीसगढ़ में अब माओवादी खून खराबा से परहेज करने लगे हैं. जिसका नतीजा है कि काफी मात्रा में माओवादी आत्मसमर्पण कर रहे हैं. जिन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं. उनके इलाकों में रोजगार भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं और मूलभूत सुविधाओं का भी ध्यान रखा जा रहा है. उनका प्रयास है कि छत्तीसगढ़ जल्द ही नक्सल मुक्त राज्यों की श्रेणी में हो.

Last Updated : Nov 16, 2020, 12:58 PM IST

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