मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

बुंदेलखंड का ये है ताजमहल, बाजीराव-मस्तानी की प्रेम निशानी को मिटा रहे हैं प्रेमी-जोड़े

बाजीराव-मस्तानी का यादगार महल जो छतरपुर जिले के मऊ सानिया में मौजूद है. प्रेम की इस निशानी के तौर पर बनाए गए महल प्रेमी जोड़े ही नुकसान पहुंचा रहे हैं.

डिजाइन फोटो

By

Published : Jun 28, 2019, 11:44 PM IST

छतरपुर। मस्तानी एक ऐसा नाम जिसे लोग बाजीराव के साथ हमेशा याद करते हैं. भले ही मस्तानी की प्रेम कहानी को इतिहास के पन्नों में वह जगह ना मिली हो जिसकी वह हकदार थी लेकिन बुंदेलखंड में आज भी लोग बाजीराव मस्तानी की प्रेम कहानी को याद करते हुए नहीं थकते हैं. छतरपुर जिले के मऊ सानिया में बाजीराव मस्तानी की प्रेम की निशानी की तौर पर बनाए गए महल प्रेमी जोड़े ही नुकसान पहुंचा रहे हैं.


क्या है बाजीराव मस्तानी की प्रेम कहानी
दोनों के प्रेम के चलते ही बाजीराव मस्तानी को लोग आज भी एक ऐतिहासिक प्रेम कहानी के रूप में याद करते हैं. वैसे तो मस्तानी का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा. अत्यंत सुंदर व बहादुर महिला होने के बाद भी उन्हें बाजीराव की पत्नी का सामाजिक रुप से दर्जा नहीं मिल सका. बाजीराव तो उन्हें पत्नी मानते थे लेकिन उनकी पत्नी के रूप में उसे पारिवारिक व सामाजिक स्वीकृति कभी नहीं मिली.

इतिहासकारों के मुताबिक 1727 ईस्वी में प्रयाग के सूबेदार मोहम्मद खान बंग्स ने राजा छत्रसाल पर चढ़ाई की. राजा छत्रसाल ने तुरंत ही पेशवा बाजीराव से सहायता मांगी. बाजीराव अपनी सेना सहित बुंदेलखंड की ओर बढ़े. वहीं मस्तानी भी बाजीराव के साथ गईं. मराठा और मुगल दो साल तक युद्ध करते रहे. जिसके बाद बाजीराव की जीत हुई.

बाजीराव मस्तानी के महल को नुकसान पहुंचा रहे प्रेमी जोड़े


बाजीराव मस्तानी को अपने साथ ले गए
युद्ध के दौरान बाजीराव और मस्तानी में प्रेम हो गया. जिसके चलते दोनों ने एक दूसरे से शादी करने का फैसला ले लिए थे. बाजीराव वापस अपने घर की ओर जाने लगे तो महाराजा छत्रसाल में सोने चांदी के आभूषणों सहित उन्हें मस्तानी को भी अपने साथ ले जाने के लिए कहा. बाजीराव खुशी-खुशी उसे अपने साथ ले गए. बाजीराव जीवनभर मस्तानी को अपनी पत्नी मानते रहे.

1696 बनाया गया था महल
महाराजा छत्रसाल ने अपनी दत्तक पुत्री मस्तानी के लिए 1696 में यह महल बनवाया था. यह महल बेहद सुंदर व मजबूत है. इसी महल में मस्तानी ने अपना बचपन बिताया था. इतिहासकार बताते हैं की मस्तानी नृत्यांगना तो थी ही साथ साथ बेहद खूबसूरत होने के अलावा शानदार तलवार बाज व घुड़सवारी भी करती थीं. इन्हीं सब खूबियों की वजह से बाजीराव को मस्तानी से प्रेम हो गया था.

आज भी मौजूद है प्रेम की निशानी

छतरपुर जिले से महज 17 किलोमीटर दूर आज भी यह प्रेम की निशानी मौजूद है. आसपास के सैकड़ों प्रेमी जोड़े इस महल में घूमने के लिए जाते हैं. ज्यादातर लोग इसे बुंदेलखंड का ताजमहल भी कहते हैं. लेकिन अब इस प्रेम की निशानी को खुद प्रेमी जोड़े की नुकसान पहुंचाने लगे हैं. इस महल की दीवारों पर लाखों की संख्या में प्रेमी जोड़ों ने अपने-अपने नाम लिखकर ना सिर्फ इस महल की खूबसूरती को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि धीरे-धीरे यह महल खंडहर में तब्दील होते जा रहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details