छतरपुर। जिले के शिवराजपुर गांव में एक ऐसा कलाकार है, जिसकी ऊंगलियां मिट्टी पर पड़ते ही उनमें अपने आप जैसे जान आ जाती है. उसकी बनाई प्रतिमाएं ऐसा लगता है कि बस अब बोल उठेंगी. इस कलाकार का नाम है टीकाराम प्रजापति, जो मिट्टी से सुंदर और आकर्षक कलाकृतियां बनाते हैं. टीकाराम को अपनी इस कला के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान भी मिल चुके हैं, लेकिन अफसोस की बात ये है कि अब वे अर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और परिवार का पालन-पोषण करने के लिए उन्हें मजदूरी तक करनी पड़ रही है.
मुफलिसी का शिकार 'मिट्टी का जादूगर', परिवार चलाने के लिए बना दिहाड़ी मजदूर
मिट्टी के जादूगर कहे जाने वाले टीकाराम प्रजापति को राज्य से लेकर केंद्र सरकार सम्मानित कर चुकी है. उनकी बनाई हुई कलाकृतियां हर किसी को आकर्षित करती हैं, लेकिन अब यह कलाकार अर्थिक संकट से जूझने को मजबूर हैं.
मिट्टी के जादूगर कहे जाने वाले टीकाराम प्रजापति पन्ना रोड पर अपने घर में ही एक खजुराहो पॉटरी नाम की दुकान चलाते हैं. यहां उनके द्वारा बनाई हुई विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां मौजूद हैं. अपने कला के दम पर ही प्रजापति पिछले कई सालों से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, लेकिन इन कलाकृतियों को बेचकर टीकाराम एक महीने में 5 से 6 हजार ही कमा पाते हैं, जिससे परिवार चलाना मुश्किल होता है. कई बार तो उन्हें परिवार का भरण-पोषण करने के लिए दिहाड़ी मजदूरी भी करनी पड़ती है.
टीकाराम राष्ट्रीय स्तर के कलाकार हैं, उन्हें अपनी इस कला के लिए केंद्र सरकार से कई प्रमाण पत्र मिल चुके हैं. वे मध्य प्रदेश सरकार में रजिस्टर्ड कलाकार भी हैं, लेकिन इन सबके बावजूद उन्हें अर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है. बता दें कि टीकाराम ने बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से स्नातक किया हुआ है. टीकाराम का कहना है कि उन्हें यह काम करने में बहुत मजा आता है. पैसे भले ही कम मिलते हैं, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि वह अपने पिता के काम को आगे बढ़ा रहे हैं. साथ उन्होनें बताया कि मिट्टी की बनी हुई कलाकृतियां मुझे बेहद सुकून देती हैं.