छतरपुर। गंगा-जमुनी तहजीब मिसाल पेश करती ये है बाबा ताजुद्दीन औलिया की मजार. मजार में जहां एक ओर बाबा ताजुद्दीन का सजदा होता है तो वहीं भगवान श्री कृष्ण की पूजा भी होती है. आंगन में लगी तुलसी और बाबा भोलेनाथ की शिवलिंग और बाबा ताजुद्दीन औलिया की देग पर लिखा ऊँ गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल देता है.
गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है ये मजार, हिंदू मुस्लिम दोनों करते हैं सजदा
छतरपुर की मजार में बाबा ताजुद्दीन औलिया का सजदा और भगवान कृष्ण की पूजा साथ-साथ होती है.
नौगांव नगर में बनी इस मजार में हिंदू देवी देवताओं की मूर्ति और तस्वीरें हैं तो वहीं मुस्लिम धर्मगुरूओं को भी पूरे सम्मान के साथ जगह दी गई है. बाबा गुलाब शाह की धूनी में एक साथ लगी श्रीकृष्ण, सांई नाथ और मुस्लिम धर्मगुरूओं की तस्वीरें एकता की मिसाल पेश करती हैं. इस मजार के खिदमतगार एक हिंदू परिवार है जो तीन पीढ़ियों से पूरे श्रद्घा के साथ इस मजार की देखरेख कर रहा है.
गुड्डू कुशवाह बताते हैं कि उनकी परिवार की तीन पीढ़ियों ने इस मजार को संभाला है. उनकी मौसी बताती हैं कि इस पूरे क्षेत्र में बाबा की विशेष कृपा है और यहां मांगी हर मनोकामना पूरी होती है. बाबा ताजुद्दीन औलिया की मजार पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि यहां पर आने से लोगों की मन्नतें पूरी होती है.