छतरपुर। जिले के नौगांव में गर्मी का मौसम होने के कारण इलाके में दूध की मांग बढ़ गई है. आमजन और व्यापारियों द्वारा दही, लस्सी, कुल्फी, बर्फ में दूध का प्रयोग अधिक किया जा रहा है, जिसके चलते दूध की डिमांड बढ़ी है. वहीं दूसरी तरफ गर्मी के चलते दूध का उत्पादन कम हो गया है, जिसका फायदा बड़े-बड़े दूध कारोबारी उठा रहे हैं. नतीजा नगर और आसपास क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दूध के नाम पर मीठा जहर बेचा जा रहा है.
दूध में मिलावट: हलवाई जहां मिलावटी मावा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो दूध देने वाले घर-घर में पाउडर और रिफाइंड से तैयार दूध सप्लाई कर रहे हैं. मिलावट के इस कारोबार से आमजन की सेहत को खतरा है. अगर स्थानीय प्रशासन ने जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. बताया गया है कि नगर में प्रतिदिन 20 से 25 हजार लीटर दूध सप्लाई किया जा रहा है. इसके अलावा 50 हजार लीटर दूध की सप्लाई ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, पिनाहट, आगर जैसे शहरों में की जा रही है. बावजूद इसके खाद्य अधिकारी इस ओर ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
भीषण गर्मी ने घटाई दूध उत्पादन की क्षमता:इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी का असर इंसानों पर ही नहीं, बल्कि पशुओं पर भी पड़ रहा है. गर्मी के कारण पशुओं खासकर गाय-भैंसों की दूध उत्पादन की क्षमता घट गई है. इससे पशुपालकों को तो घाटा हो ही रहा है, साथ ही लोगों को दूध मिलने में भी दिक्कत आ रही है. पशुओं की दूध उत्पाद क्षमता पर 25 से 50 फीसदी तक असर पड़ा है. दुधारू पशुओं में भैंसों और गायों का दूध कम हो गया है. डेयरी संचालक राम प्रकाश अवस्थी ने बताया कि उनकी डेयरी में ज्यादातर भैंसों का यही आलम है जो भैंस एक समय में 7 किलोग्राम दूध देती थी, अब गर्मी की वजह से वह घटकर 4 से 5 किलो तक आ गई है. इसके अलावा दूध की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है.
ऐसे बनता है सिंथेटिक दूध:आधा लीटर शुद्ध दूध और सोयाबीन रिफाइंड का आधा लीटर तेल मिक्सर से मिलाते हैं. तब फैट बनकर तैयार हो जाता है. इसके अलावा थोड़ा नमक, चीनी, यूरिया खाद और ग्लूकोज को पानी में मिलाते हैं. अगर फेट कम रह जाती है तो उसके एक अलग किस्म का केमिकल मिलाते हैं. दूध में झाग लाने के लिए यूरिया खाद और इजी शैंपू का प्रयोग किया जाता है.