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Published : Apr 2, 2021, 9:13 PM IST

Updated : Apr 3, 2021, 9:37 AM IST

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MP की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी, कोरोना से बचा रही अस्थाई जेल

एमपी में वैसे तो 131 जेल हैं. जिनमें 11 सेंट्रल जेल, 41 जिला जेल और 73 उपजेल समेत 6 खुली जेल हैं. प्रदेश की जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता कुल 28 हजार 718 है, लेकिन स्थिति यह है कि इन जेलों में 44 हजार 603 कैदी हैं. इस तरह प्रदेश की जेलों में क्षमता से ज्यादा 15 हजार 885 कैदी बंद हैं.

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भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना के दूसरे फेज में संक्रमण के बढ़ते दायरे ने जेल प्रबंधन की चिंता बढ़ा दी है. प्रदेश की जेलों में कुल 44 हजार 603 कैदी बंद हैं. इसके अलावा 20 हजार से ज्यादा सजायाफ्ता कैदी है. इस तरह प्रदेश की जेलों में 15 हजार से ज्यादा कैदी क्षमता से ज्यादा है. हालांकि कोरोना को देखते हुए नए कैदियों को भोपाल में पुरानी जेल में रखा जा रहा है और आरटीपीसी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही उन्हें मुख्य जेल में भेजा रहा है.

MP की जेलों में करीब 15 हजार कैदी क्षमता से ज्यादा

मध्यप्रदेश में कुल 131 जेल हैं. जिनमें 11 सेंट्रल जेल, 41 जिला जेल और 73 उपजेल समेत 6 खुली जेल हैं. प्रदेश की जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता कुल 28 हजार 718 है, लेकिन स्थिति यह है कि इन जेलों में 44 हजार 603 कैदी हैं. इस तरह प्रदेश की जेलों में क्षमता से ज्यादा 15 हजार 885 कैदी बंद हैं. मध्यप्रदेश में कोई भी स्पेशल और महिला जेल नहीं है. मध्यप्रदेश की जेलों में महिला कैदियों की संख्या 1758 है. वहीं पुरूष कैदियों की संख्या 42 हजार 845 है. उम्र के हिसाब से देखा जाए तो जेलों में 18 से 30 साल की उम्र वाले 8047 कैदी हैं. इसी तरह प्रदेश की जेलों में 30 से 50 साल की आयु वाले 9355 कैदी सजा काट रहे हैं, जबकि 50 से ज्यादा की उम्र वाले भी 2851 कैदी प्रदेश की जेलों में बंद हैं.

MP की जेलों में क्षमता से 15 हजार कैदी

जेल में ना हो जाए 'खेल': चाहिए 'कोरोना प्रूफ' जेल

कोरोना से बचाने तीन उपाए

कोरोना के मामले बढ़ने के साथ ही जेल प्रशासन ने इससे बचाव के लिए फिर इससे बचाव के इंतजाम शुरू कर दिए हैं. इसके तहत कैदियों के लिए थ्री लेयर में व्यवस्था की गई है. जेल अधिकारियों की मानें तो नए कैदियों के लिए सबसे पहले आरटीपीसीआर टेस्ट कराया जा रहा है, इसके बाद ही कैदियों को अस्थाई जेल में शिफ्ट किया जा रहा है. चार दिन बाद फिर से आरटीपीसीआर टेस्ट कर नए कैदी को अस्थाई जेल में बने क्वारंटीन सेंटर में भेजा जा रहा है और फिर क्वारंटीन की अवधि खत्म होने और कोरोना के कोई भी लक्षण न दिखने पर ही कैदी को मुख्य जेल में शिफ्ट किया जा रहा है.

पुरानी जेल को बनाया अस्थाई जेल

राजधानी भोपाल में जेल पहाडी स्थित पुरानी जेल को अस्थाई जेल बनाया गया है. यहां क्वारेंटीन सेंटर और आइसोलेशन वार्ड बनाए गए है. आरटीपीसीआर टेस्ट पाॅजीटिव आने के बाद जरूरत पड़ने पर हाॅस्पिटल या फिर पुरानी जेल में ही रखा जा रहा है. प्रदेश में ऐसे कैदियों के लिए अलग से वार्ड बनाने के निर्देश दिए गए हैं.

जिला जेल भोपाल

पिछले साल पेरोल पर रिहा हुए थे 6500 कैदी

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोर्ट के निर्देश पर प्रदेश की जेलों से 6500 कैदियों को पेरोल और अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था. इसमें पेरोल पर छूटने वाले कैदियों की संख्या 3800 है. हालांकि शुरूआत में इन्हें 60 दिन के लिए पैरोल पर छोड़ा गया था. नंवबर माह में इसके 60 दिन के लिए फिर बढ़ा दिया गया था. हालांकि जनवरी में पेरोल पर छूटे सभी बंदी वापस जेलों में पहुंच चुके हैं.

Last Updated : Apr 3, 2021, 9:37 AM IST

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