भोपाल। प्रदेश की सत्ता में काबिज बीजेपी को 2 महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन अब तक ठीक से मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया है. इस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर लगातार सियासी खींचतान और दांवपेच का दौर चल रहा है. सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक लगातार राजधानी में बने हुए हैं और प्रत्येक दिन बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात कर रहे हैं, ताकि उन्हें जल्द से जल्द मंत्री बनाया जा सके. वहीं दूसरी ओर बीजेपी के कई कद्दावर नेता भी मंत्री बनाए जाने को लेकर बीजेपी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं.
मंत्रिमंडल विस्तार में तारीख पर तारीख
हालांकि पिछले दो माह से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर तारीख पर तारीख की दी जा रही हैं. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 31 मई तक नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाने की बात कही थी, लेकिन अब नई तारीख 2 जून बताई जा रही है. बताया जा रहा है कि 1 जून को मुख्यमंत्री दिल्ली जाएंगे और लौटने के बाद राजभवन जाकर राज्यपाल लालजी टंडन से नए मंत्रियों को शपथ दिलाए जाने का आग्रह करेंगे.
ग्वालियर-चंबल की चुनौती
वहीं दूसरी ओर नए चेहरों के नाम पर पार्टी में सहमति नहीं बन पा रही है. समीकरण ऐसे बन गए हैं, जिसे सुलझाना भी बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. ग्वालियर-चंबल में जहां पार्टी को 16 सीटों पर उपचुनाव का सामना करना है. कई समीकरण कमोवेश हर संभाग में दिखाई दे रहे हैं, कुछ जिलों में सियासी और जातीय समीकरण बिगड़ता दिख रहा है, सीएम इन सभी मुद्दों पर संघ और बीजेपी के संगठन के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकर बातचीत कर चुके हैं. अब दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा.
सिंधिया समर्थकों के विभागों पर मंथन
बताया जा रहा है कि सिंधिया खेमे से पूर्व मंत्री इमरती देवी, प्रद्युमन सिंह तोमर, प्रभु राम चौधरी और महेंद्र सिंह सिसोदिया का नाम मंत्री बनाए जाने में सबसे आगे शामिल किया गया है, इसके अलावा बिसाहू लाल सिंह, हरदीप सिंह डंग, इंदल सिंह कंसाना और रणवीर जाटव भी शिवराज कैबिनेट में संभावित चेहरे हो सकते हैं. बताया जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों को उनके मनपसंद विभाग दिलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं, क्योंकि कमलनाथ सरकार के दौरान इन पूर्व मंत्रियों के पास महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी थी, लेकिन जिस तरह से शिवराज सिंह चौहान के द्वारा मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया था. जिसमें तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को जगह दी गई थी, लेकिन इन दोनों ही नेताओं को किसी महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री नहीं बनाया गया है. यही वजह है कि सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक अभी से महत्वपूर्ण विभाग लेने की जुगत में जुट गए हैं.