भोपाल।प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश के कई जिले अभी भी ऐसे हैं, जहां मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिसकी वजह से प्रशासन की चिंताएं भी बढ़ी हुई हैं. राजधानी भोपाल में भी संक्रमित मरीजों की संख्या में हर दिन इजाफा दर्ज किया जा रहा है. प्रशासन के द्वारा संक्रमित मरीज और संदिग्ध मरीजों को बेहतर उपचार देने के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाए जा रहे है, जिसके तहत अब मैनिट के हॉस्टल को भी क्वारंटाइन सेंटर बनाया जा रहा है. जिसके विरोध में यहां पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स उतर आए है.
विरोध में उतरे स्टूडेंट्स हॉस्टल के कमरों में रखा स्टूडेंट्स का सामान
मैंनिट में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को डर है कि अगर यहां पर मरीजों को रुकने की व्यवस्था दी जा रही है, तो उससे कहीं ना कहीं स्टूडेंट्स को भी संक्रमित होने का डर बना रहेगा. इसके अलावा स्टूडेंट्स के कमरों में उनका निजी सामान रखा हुआ है और हॉस्टल में कोई भी स्टूडेंट मौजूद नहीं है. सभी स्टूडेंट लॉक डाउन लागू होने के बाद अपने-अपने घर जा चुके हैं, लेकिन उनका पूरा सामान हॉस्टल के कमरों में रखा हुआ है. इस सामान की सुरक्षा को लेकर भी स्टूडेंट्स में चिंता बढ़ गई है.
स्टूडेंट्स में पैनिक जैसी स्थिति
मैनिट के केमिकल इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर स्टूडेंट वैभव मल्होत्रा का कहना है कि प्रदेश भर में लॉक डाउन लागू होने के बाद सभी स्टूडेंट अपना सामान हॉस्टल में छोड़कर ही अपने घर रवाना हो गए थे, हालांकि हॉस्टल के कमरों में सभी स्टूडेंट्स ने अपने ताले लगा दिए थे, लेकिन 23 तारीख को मैनिट प्रबंधन ने एक आदेश निकाला था, जिसमें बताया गया था कि मैंनिट के परिसर को क्वारंटाइन सेंटर बना दिया जाए. इसके बाद से ही स्टूडेंट्स में पैनिक जैसी स्थिति बन गई है, क्योंकि सभी स्टूडेंट्स को यही लग रहा है कि उनके हॉस्टल के कमरों के ताले तोड़ दिए जाएंगे और वहां पर क्वॉरेंटाइन सेंटर बना दिया जाएगा.
स्टूडेंट में चिंता होना स्वाभाविक
स्टूडेंट में चिंता होना स्वाभाविक है, क्योंकि सभी के लैपटॉप, जरूरी दस्तावेज और पढ़ाई लिखाई से संबंधित चीजें कमरों में रखी हुई हैं. सभी स्टूडेंट्स लॉक डाउन के चलते अपना सारा सामान वहीं पर छोड़ कर अपने-अपने घर रवाना हो गए थे. इस मामले को लेकर सभी स्टूडेंट्स के द्वारा ट्वीटर पर एक कैंपेन भी चलाया गया था और इसकी जानकारी मैनिट प्रबंधन को भी दी गई थी. इसके बाद सभी स्टूडेंट के द्वारा प्रबंधन को एक पत्र भी मेल किया गया है. जिसमें उनसे मांग की गई है कि परिसर में कुछ अन्य नई टीचिंग सेंटर भी बनाए गए हैं, अगर उन्हें क्वारंटाइन सेंटर बनाया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा.
वैभव मल्होत्रा ने कहा कि अगर ऐसी जरूरत आती है कि हॉस्टल के सभी कमरों को भी क्वॉरेंटाइन सेंटर में तब्दील किया जाएगा तो प्रबंधन को एक सर्कुलर निकालना चाहिए और सभी स्टूडेंट्स को विश्वास दिलाना चाहिए, कि उनके कमरों में रखा हुआ सामान मिसिंग नहीं होगा. साथ ही सभी का सामान यथास्थिति वापस आने पर मिल जाएगा. इससे जो स्टूडेंट्स के अंदर पैनिक स्थिति बनी है, वह ठीक हो सकेगी और स्टूडेंट्स घर पर रहकर भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे, लेकिन संक्रमण के डर से भी सभी स्टूडेंट्स में एक डर बना हुआ है. जिसका निदान करना बेहद जरूरी है.