बजट में 'लाडली बहना' का स्पेशल कोटा! विधानसभा की राह सुरक्षित करने की कवायद, क्या साबित होगी गेम चेंजर
विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी मध्यप्रदेश सरकार खास रणनीति पर चल रही है. हर वर्ग को बीजेपी से जोड़ने की इस रणनीति के तहत लाडली बहना योजना को बड़ा दांव माना जा रहा है. देखना दिलचस्प होगा कि लाडली लक्ष्मी की अपार सफलता के बाद क्या लाडली बहना योजना भी बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित होगी.
लाडली बहना बनेगी गेम चेंजर
By
Published : Feb 27, 2023, 5:37 PM IST
|
Updated : Feb 27, 2023, 7:39 PM IST
भोपाल। 2005 में सत्ता संभालने के बाद से ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश की आधी आबादी के लिए दरियादिली दिखाते रहे हैं. प्रदेश की बच्चियों के लिए सच्चे मामा साबित होने के बाद अब शिवराज सच्चे भाई के रूप पर भी मुहर लगाने की कोशिश में जुटे हैं. यही वजह है कि लाडली लक्ष्मियों के बूते सत्ता की हैट्रिक लगाने वाली शिवराज सरकार के साल 2023 के बजट में बड़ा कोटा 'लाडली बहनों' के नाम हो तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.
लाडली बहना बनेगी गेम चेंजर
बहना के खाते में रुपए हजार, सरकार भले कर्जदार:युद्ध जीतने की रणनीति है कि सबसे मजबूत चाल सबसे मुश्किल वक्त में चली जाती है. इसी तर्ज पर चुनाव के सबसे बड़े इम्तिहान में उतरने से ऐन पहले शिवराज सरकार ने 60 हजार करोड़ का नया बोझ उठाने का दम दिखाया है. 1 मार्च को पेश हो रहे चुनावी बजट में महिला बाल विकास विभाग के खाते में सबसे ज्यादा राशि देने की तैयारी है. गले तक कर्ज में डूबे होने के बावजूद सरकार 60 हजार करोड़ का नया बोझ लेकर चुनावी साल में एक करोड़ बहनों के खाते में एक-एक हजार रुपए पहुंचाएगी. बावजूद इसके कि वह तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज में डूबी हुई है. इस कर्ज का ब्याज ही बीस हजार करोड़ के लगभग है.
लाडली बहना बनेगी गेम चेंजर
बजट में बहना का खाता क्या बनेगा गेम चेंजर:मध्यप्रदेश में भाजपा ने सत्ता की पांचवी पारी के लिए सबसे भरोसेमंद ब्रांड शिवराज पर पूरा भरोसा जताया है. वहीं, शिवराज अपनी उसी यूएसपी के सहारे हैं, जिसकी दम पर उन्होंने सरकार की हैट्रिक बनाई और चुनाव में हार के बावजूद बीजेपी की सत्ता में वापसी कराई. ट्रैक रिकॉर्ड बना रहा तो लाडली बहना का ये दांव गेमचेंजर भी साबित हो सकता है.
मध्यप्रदेश की राजनीति से जुड़ी अन्य खबरें भी जरूर पढ़ें
महिलाएं टेस्टेड और ट्रस्टेड वोट बैंक:मध्यप्रदेश में साइलेंट वोटर यानि महिलाएं बीजेपी का टेस्टेड और ट्रस्टेड वोट बैंक हैं. 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में लड़ी बीजेपी की जीत की राह महिलाओं ने ही आसान की थी. लाडली लक्ष्मी योजना के साथ 2007 के बाद से ये वर्ग बीजेपी का मजबूत वोट बन गया. इस बार भी एक तरीके से महिला मतदाताओं के हाथ में ही सत्ता की कमान है. प्रदेश के 41 जिलों में महिला मतदाताओं की संख्या में खासा इजाफा हुआ है. प्रदेशभर में इनकी संख्या 7 लाख के पार पहुंच गई हैं. अमूमन सियासत से दूर और साइलेंट मोड में रहने वाला ये वोटर अब जागरूक भी हुआ है. 2013 से 2018 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ना इसकी तस्दीक करता है. पिछले चुनाव में ही महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत चार फीसदी तक बढ़ चुका है.
लाडली बहना बनेगी गेम चेंजर
बेटियों के सहारे बीजेपी: बीजेपी के चुनाव मैनेजमेंट में टाइमिंग का बड़ा खेल है. इस लिहाज से देखें तो चुनाव के सालभर पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यूथ वोटर पर पकड़ बनाने का दांव खेल दिया था. लाडली लक्ष्मी 2.0 के तहत 14 हजार से ज्यादा लड़कियों को हायर एजुकेशन के लिए प्रोत्साहन राशि दी गई है. एक परिवार में बेटी को सरकार से मिली प्रोत्साहन राशि भी चुनाव में 1+4 का कमाल करती है यानि एक को फायदे के जरिए घर के चार वोट मिलने की गारंटी. यही वजह है कि 1 मार्च को पेश हो रहे बजट में शिवराज सरकार का पूरा फोकस युवा और महिलाओं पर है.