भोपाल।मध्य प्रदेश में भले ही कोरोना वायरस की वजह से शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है. लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रभाव खत्म होगा सबसे पहले प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन होगा. प्रदेश में मंत्री न होने से विपक्ष भी लगातार बीजेपी पर निशाना साध रहा है. लेकिन बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती ये है कि एक तरफ पार्टी को सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों को एडजस्ट करना है, तो वहीं अपने पूर्व मंत्रियों को भी साधना है.
2013 के विधानसभा चुनाव में शिवराज के 13 मंत्री चुनाव हार गए थे. जिनको सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों ने चुनाव हराया था. ऐसे में इस बार अगर पार्टी इन पूर्व विधायकों को टिकट देती है तो अपने हारे हुए नेताओं को पार्टी संगठन में जगह देगी. माना जा रहा है कि इस बार शिवराज सिंह चौहान की कैबिनेट पिछली सरकार की तुलना में बिल्कुल अलग होगी. क्योंकि बीजेपी इस बार कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है. ताकि प्रदेश के सभी क्षेत्रों और वर्गों का समीकरण साधा जा सके.
चुनाव हारे 13 पूर्व मंत्रियों को संगठन में मिल सकती है जगह
2013 का विधानसभा चुनाव हारे शिवराज सरकार के 13 पूर्व मंत्रियों को भी नाराज नहीं करना चाहती. इसलिए पार्टी इन हारे हुए नेताओं को संगठन में बड़े पद दे सकती है. उमाशंकर गुप्ता, अर्चना चिटनिस, लाल सिंह आर्य, दीपक जोशी, ओमप्रकाश धुर्वे, ललिता यादव, जयभान सिंह पवैया जैसे बड़े नेता भले ही विधानसभा चुनाव हार गए हों. लेकिन इन्हें संगठन में अहम पद देकर पार्टी संतुलन बनाना चाहेगी.
इन विधायकों को भी मिल सकता है संगठन में अहम पद
वहीं पार्टी के सामने नई समस्या ये भी है कि इस बार सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. ऐसे में लगातार चुनाव जीत रहे विधायकों को भी पार्टी के संगठन में और निगम मंडलों में अहम पद दे सकती है. इन नेताओं में सुरेंद्र पटवा, पारस जैन, शैलेंद्र जैन, गोपीलाल जाटव, यशपाल सिंह सिसोदिया जैसे विधायकों को भी संगठन या निगम मंडलों में अहम जिम्मेदारी दी जाएगी.