भोपाल।प्रदेश में होने वाले शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार एक बार फिर से टलता नजर आ रहा है. जिससे सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के मंत्री बनने के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बने ढाई महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. लेकिन वे अब तक अपनी सरकार के पूर्ण मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पाए. दूसरी तरफ मंत्री पद त्याग कर बीजेपी के सरकार बनवाने वाले सिंधिया समर्थक उपचुनाव नजदीक होने के कारण जल्द से जल्द मंत्री बनना चाहते हैं. लेकिन राज्यसभा चुनाव की तारीख के ऐलान के कारण मंत्रिमंडल का विस्तार टलता नजर आ रहा है.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी को डर है कि अगर मंत्रिमंडल का विस्तार किया और नाराज विधायक कही राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग ना कर दे. सिंधिया और उनके समर्थकों की बगावत से बीजेपी ने सरकार को बना ली. लेकिन जब मंत्रिमंडल गठन का समय आया, तो असली चुनौती सामने नजर आई. सूत्रों की मानें तो सिंधिया और उनके समर्थकों साथ हुए सौदे में यह तय हुआ था कि बगावत करने वाले 22 में से 11 विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजकर केंद्र में मंत्री बनाया जाएगा. लेकिन सरकार बनते ही बीजेपी और सिंधिया के सामने कई चुनौतियां बड़ती जा रही है.
बीजेपी को भी वगावत का डर
बीजेपी अगर 11 सिंधिया समर्थकों को मंत्री बनाती है, तो बीजेपी के 23 विधायक ही मंत्री बन पाएंगे. जबकि बीजेपी में मंत्रीपद के दावेदारों की फेहरिस्त लंबी है. सरकार बनते ही ये विधायक भी पार्टी पर मंत्री बनाने का दवाब बना रहे हैं. ऐसी स्थिति में बीजेपी को डर सता रहा है कि जिस तरह कांग्रेस में सिंधिया खेमे के असंतोष का फायदा उठाकर कमलनाथ सरकार गिरा दी. वैसी ही बीजेपी के असंतोष का फायदा उठाकर कांग्रेस शिवराज सरकार ना गिरा दे.