मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

जनता की गाढ़ी कमाई माननीय की पेंशन में हो रही खर्च, जानें विधायक और सांसद को कैसे और कितनी मिलती है सैलरी

हमारे देश में सरकारी चपरासी से लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट के जज को 30 साल नौकरी करने के बाद ही पेंशन का अधिकार है. हमारे माननीय सांसद और विधायक यदि एक दिन के लिए भी चुन लिए गए तो उनकी पेंशन ताउम्र पक्की हो जाती है. हैरत की बात ये है कि सिर्फ भारत में ही जनता की गाढ़ी कमाई हमारे माननीय पर बरसाई जाती है. आज हम भारत की बिग स्टोरी में माननीय और सांसदों की मिलने वाली पेंशन और वेतन को समझेंगे-

mp mla salary issue
एमपी एमएलए की सैलरी

By

Published : Feb 28, 2022, 7:23 PM IST

भोपाल।भारत में यदि आप एक बार माननीय बन गए तो आप की पेंशन पक्की. यदि दूसरी बार आप सांसद बन गए और सांसद भी नहीं रहे तो भी माननीयों की बल्ले-बल्ले तो होनी ही है. हमारे माननीय विधायक की पेंशन भी लेंगे और सांसद की पेंशन भी. हैरत की बात ये है कि सिर्फ भारत में ही जनता की गाढ़ी कमाई हमारे माननीय पर बरसाई जाती है. आज हम भारत की बिग स्टोरी में माननीय और सांसदों की मिलने वाली पेंशन और वेतन को समझेंगे- (mp and mla salary in mp)

सांसद को मिलने वाली सैलरी और पेंशन

एक बार माननीय बनने पर ताउम्र पक्की हो जाती है पेंशन
हमारे देश में सरकारी चपरासी से लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट के जज को 30 साल नौकरी करने के बाद ही पेंशन का अधिकार है. हमारे माननीय सांसद और विधायक यदि एक दिन के लिए भी चुन लिए गए तो उनकी पेंशन ताउम्र पक्की हो जाती है. हैरान करने वाली बात यह है कि माननीयों के लिए हमारी सरकारों ने एक और प्रावधान कर रखा है कि आप विधायक के बाद सांसद चुन लिए गए तो आपको विधायक और सांसद दोनों की पेंशन मिलती रहेगी. यानी दोनों हाथों से आप लड्डू खाते रहेंगे. इसी तरह राज्यसभा सांसद चुने जाने और केंद्रीय मंत्री बन जाने पर मंत्री का वेतन भत्ता और विधायक सांसद की पेंशन भी मिलती रहती है. (mp and mla pension process)

विधायकों को मिलने वाली सैलरी

माननीयों का इनकम टैक्स भरेगी प्रदेश सरकार
1.70 लाख रुपये प्रतिमाह के वेतन के बावजूद शिवराज सरकार ने मंत्रियों के इनकम टैक्स भरने का फैसला लिया है. एक तरफ सरकार कहती है कि कोरोना के चलते खजाने की हालत खस्ता है. दूसरी तरफ उनके मंत्रिमंडल के लिए शिवराज सरकार मेहरबान है. लगभग 43 करोड़ रुपए मंत्रियों के इनकम टैक्स पर शिवराज सरकार खर्च करेगी. (mla salary hike in shivraj government)

मध्य प्रदेश के प्रमुख पदों के वेतन

माननीयों के लिए ब्रिटेन का पेंशन सिस्टम
ब्रिटेन दुनिया का सबसे पुराना प्रजातंत्र है. वहां के सांसदों को वेतन और पेंशन की सुविधा है, लेकिन सांसदों का वेतन और पेंशन निर्धारित करने के लिए एक आयोग का गठन होता है. इस आयोग को स्थाई रूप से आदेश दिया गया है कि सांसदों को इतना वेतन और सुविधाएं न दी जाएं, जिससे लोग उसे अपना करियर बनाने का प्रयास करें और न ही इतना कम वेतन दिया जाए, जिससे उनके कर्तव्य निर्वहन में बाधा पहुंचे. आयोग को यह निर्देश हैं कि सांसदों के वेतन, भत्ते निर्धारित करते समय आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखा जाए. आयोग के बाद इन सिफारिशों पर वहां का हाउस ऑफ कॉमंस विचार करता है. (Britain pension system for parlament member)

एमपी से सटे राज्यों में माननीयों की सैलरी

साल दर साल समझें कब-कब बढ़ा वेतन और भत्ते
1990 में मध्यप्रदेश के विधायकों का मासिक वेतन 1000 था, जो अब 35000 हो गया है. आरटीआई के तहत मिले आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्षों में विधायकों के वेतन के मुकाबले उनके भत्तों पर साढ़े चार गुना से ज्यादा भुगतान किया गया है. पिछ्ले 5 सालों में 230 विधानसभा सदस्यों के वेतन पर 35.03 करोड़ रुपए खर्च हुए. जबकि उन्हें मिलने वाले अलग-अलग भत्तों पर सरकारी खजाने से लगभग 121 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. इसमें यात्रा भत्ता के रूप में 38.03 करोड़ रुपए की बड़ी अदायगी शामिल है.

क्या पेंशन सिस्टम में होना चाहिए बदलाव

वेतन भत्ता के लिए बनना चाहिए पारदर्शी निकाय
वहीं सियासी सुधारों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के संयोजक रोली शिवहरे ने मांग की कि विधायकों के वेतन भत्तों के निर्धारण और उसकी नियमित समीक्षा के लिए कोई स्वतंत्र और पारदर्शी निकाय बनाया जाना चाहिए. उनका कहना है कि लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए दिन-रात पसीना बहाना पड़ता है. जनता के प्रतिनिधि विधायक वेतन भत्ता बढ़ाने के लिए विधानसभा में खुद ही विधेयक पास कर लेते हैं.

माननीय को मिलती हैं ये सब सुविधाएं
इन सबके बावजूद माननीय को सब मुफ्त में चाहिए. गेस्ट हाउस में रुकने का 20 रुपये प्रतिदिन का किराया भी नहीं देना चाहते. ज्यादातर पूर्व विधायकों का कहना है कि विधानसभा में उनका जो दफ्तर है उसके चाय नाश्ते का खर्च विधानसभा ही दे. इसी को देखते विधानसभा इसी सप्ताह छूट देने की तैयारी कर रही है. दूसरी तरफ टोल टैक्स छूट वाली इनकी फाइल भी जल्द क्लियर हो जाएगी. उनकी गाड़ी में फास्टटैग लगेगा, जिसका पैसा सरकार देगी. सरकार को 4% ब्याज पर गाड़ी के लिए 25 लाख और मकान के लिए 50 लाख का लोन देने जा रही है. साथ ही विधायकों के वेतन से आधी पेंशन का प्रस्ताव भी सरकार पास कर ले जा रही है.

सिंधिया को सीएम बनने का आशीर्वाद, क्या एमपी की जनता चाहती है यह बदलाव ?

देश के 82 फीसदी सांसद करोड़पति हैं और वही विधायकों की संख्या भी करोड़पति होने की 60 प्रतिशत के करीब है. ऐसे में गरीब करदाताओं के ऊपर विधायक सांसद और उनके परिवार को पेंशन राशि देने का बोझ क्या सरकारों को उचित लगता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details