भोपाल।कोरोना संक्रमण के चलते पिछले नौ माह से स्कूलों में ताले लगे हुए हैं. छात्रों की कक्षाएं ऑनलाइन चल रही हैं. शासकीय स्कूलों में छात्रों के लिए मोहल्ला क्लास, हमारा घर हमारा विद्यालय ,दूरदर्शन जैसी सुविधाएं छात्रों को दी गई है. तो वहीं प्राइवेट स्कूल केवल ऑनलाइन कक्षाओं के भरोसे ही छात्रों को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन अब प्राइवेट स्कूल संचालक स्कूलों को खोलने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब सरकार लॉकडाउन खोल चुकी है और इसमें सभी उन वर्गों को छूट दी गई है,तो ऐसे में शिक्षा जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है सरकार उसके लिए गंभीर क्यों नहीं है. प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि अगर सरकार ने स्कूल खोलने की परमिशन नहीं दी तो वह ऑनलाइन कक्षाएं पूरी तरह से बंद कर देंगे. जिससे छात्रों को नुकसान झेलना पड़ेगा.
प्राइवेट शैक्षिणक संस्थानों की सरकार को चेतावनी
स्कूल खोलने की मांग को लेकर अब प्राइवेट एडेड स्कूल, प्राइवेट अनएडेड स्कूल और सीबीएससी स्कूल आंदोलन की राह पर आ गए है. स्कूल संचालकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर एक हफ्ते में स्कूल खोलने की अनुमति नहीं मिली तो वे मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे. 15 दिसंबर को ऑनलाइन कक्षाएं पूरी तरह बंद रखेंगे. अगर स्कूल ऑनलाइन क्लास बंद करते है तो इसका खामियाजा प्रदेश के 10 लाख से अधिक छात्रों को भुगतना पड़ेगा.
'सरकार से बेहतर एसओपी का पालन करेंगे'
स्कूल संचालकों का कहना है कि अगर सरकार स्कूलों को खोलने की अनुमति दे तो हम छात्रों की पूरी जिम्मेदारी लेंगे. कोरोना गाइडलाइन का पालन करेंगे. स्कूलों में चलने वाली बसों की संख्या बढ़ा देंगे. एक बस में आधी क्षमता के हिसाब से बच्चों को बिताएंगे. इसके साथ ही जो अन्य गतिविधियां स्कूलों में होती है. उन्हें संचालित नहीं करेंगे केवल कक्षाएं लगाएंगे.प्राइवेट स्कूल के संचालकों का कहना है कि हम सरकार से बेहतर एसओपी का पालन करके दिखाएंगे. इसके लिए उन्होंने सरकार से एक हफ्ते का समय मांगा है. संचालकों का कहना है कि पहले कक्षा नौवीं से बारहवीं के स्कूल लगाए जाएं. अगर इसमें स्कूल संचालक सफल नहीं होते है तो वे खुद स्कूल को बंद कर देंगे. लेकिन अगर एक माह तक स्कूलों में कोई कोरोना से संबंधित शिकायत नहीं आती है तो कक्षा एक से आठ तक के छात्रों के लिए भी स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जाए.
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अभिभावक छात्रों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं
वहीं पालक संघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा का कहना है कि अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं है. अगर प्राइवेट स्कूल स्कूलों को खोलने की मांग कर रहे हैं तो वह यह भी सुनिश्चित करें कि अगर किसी बच्चे को कुछ होता है तो उसकी जिम्मेदारी स्कूलों की होगी. साथ ही लिखित में पत्र दे कि बच्चे का सारा ट्रीटमेंट स्कूल कराएगा. प्राइवेट स्कूल के अभिभावकों का कहना है कि वह मध्य प्रदेश सरकार के साथ इस निर्णय में खड़े हैं. कोरोना संक्रमण के बीच वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.
लाखों छात्रों का अधर में भविष्य
हालांकि अब देखना होगा कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा दी गई चेतावनी के बाद सरकार स्कूल खोलने के लिए मंजूरी देती है या नहीं. हालांकि अगर सरकार मंजूरी देता है तो प्राइवेट स्कूलों के अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे. वहीं प्राइवेट स्कूलों का कहना है कि अगर सरकार ने स्कूल खोलने की परमिशन नहीं दी तो वह ऑनलाइन कक्षाएं पूरी तरह से बंद कर देंगे. जिससे छात्रों को नुकसान झेलना पड़ेगा.