भोपाल/जबलपुर।राजधानी भोपाल से लगे बैरसिया में बड़ी संख्या में गायों की मौत पर बवाल मचा हुआ है. मामले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है. वहीं गोशाला की संचालिका और बीजेपी नेत्री निर्मला देवी शांडिल्य विपक्ष द्वारा परेशान किए जाने की बात कर रही हैं. इतनी बड़ी घटना के बाद भी उनका गैर जिम्मेदारना रवैया देखने को मिला. FIR के बावजूद गोशाला की संचालिका खुलेआम बेधड़क पुलिस और प्रशासन के सामने धौंस देती दिखाई दे रही हैं. पढ़िए, ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट.
विपक्ष परेशान कर रहा है- गोशाला संचालिका
ग्राउंड जीरो पर जब ईटीवी की टीम पहुंची तो पाया कि जिस बीजेपी नेत्री के खिलाफ गायों की मौत को लेकर शिकायत की गई है, वो खुलेआम बेधड़क पुलिस-प्रशासन के सामने धौंस देती दिखाई दीं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं तो भाजपा से हूं और विरोधी लोग बात का बतंगड़ बना रहे हैं, अब ठंड है तो 2-4गाय मर गईं तो क्या हो गया. लोगों का आरोप है कि राजनीतिक संरक्षण के कारण निर्मला देवी की गिरफ्तारी नहीं हो रही है. बता दें कि महिला के खिलाफ मामला तो दर्ज हो गया है, लेकिन मामूली धाराओं में.
मामले में हो रही लीपापोती
प्रशासन कह रहा है कि 45 गायो को दफन किया गया है जबकि स्थानीय लोगों की मानें तो यहां लगभग 300 गायों की मौत हुई है. और रातों-रात गायों के मृत शरीर को हटाने का काम किया गया है. वहीं गोशाला के अंदर मीडिया को भी जाने की इजाजत नहीं दी जा रही थी. ईटीवी ने ग्राउंड पर जाने की कोशिश की तो साफ मना कर दिया गया औऱ कहा गया कि ऊपर से आर्डर हैं कि आप लोग अंदर नहीं जाओगे. बाद में कांग्रेस के नेताओं के आने के बाद मीडिया अंदर जा सकी. कांग्रेस ने आरोपी संचालिका की गिरफ्तारी की मांग की है.
सियासत में उलझी गोवंश की रक्षा! 'गो भक्तों की सरकार' में फंड की कमी से हो रही गाय की दुर्दशा
गायों की मौत पर सियासत
लेकिन इस बीच सियासी खेल शुरु हो गया है. बीजेपी से बैरसिया विधायक विष्णु खत्री मौके का मुआयना करने पहुंचे औऱ कहा कि गोशाला संचालिका निर्मला देवी बीजेपी से नहीं है, ये तो कांग्रेस की साजिश है.लेकिन जैेसे ही कांग्रेस के नेता वहां पहुंचे, मामले को बिगड़ता देख विधायक महोदय मौके से चुपचाप रवाना हो गए. स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन पूरे प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल देना चाहता है.
सरकारी जमीन पर कब्जा
बता दें कि निर्मला देवी पिछले 22 सालों से गोशाला चला रही हैं. पिछले 7 सालों में 37 लाख से ज्यादा की रकम गायों की देखरेख के लिए दी गई, लेकिन नतीजा सामने है. हैरानी करने वाली बात ये है कि गो संचालिका को गो संवर्धन बोर्ड ने पिछले दो सालों में 20 लाख से ज्यादा की राशि दी है. आरोप ये भी लगाये जा रहे हैं कि राजनीति का रसूख दिखाकर महिला ने 10 से 12 एकड़ की सरकारी भूमि पर कब्जा भी कर रखा है. जिसमें बाकायदा खेती की जा रही है.