भोपाल। एमपी की सियासत में होली का दिन अहम रहने वाला है, इस दिन तय हो सकता है कि मध्यप्रदेश की सरकार का भविष्य क्या होगा. सियासत का हाई वोल्टेज ड्रामा अब भी जारी है और हर दिन इसमें नया ट्विस्ट आ रहा है. अब बारी है ऑपरेशन कमल के अंजाम तक पहुंचने का, जिसके बाद बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का भविष्य तय होने वाला है. ज्योतिरादित्य सिंधिया का कितना दखल होगा एमपी की सियासत में और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कद बढेगा या घटेगा ये भी 'ऑपरेशन अंजाम' के अंजाम तक पहुंचने के बाद ही तय हो पाएगा, आइए आपको सिलसिलेवार बताते हैं पिछले एक हफ्ते में एमपी की राजनीति में क्या-क्या घटा. कैसे शुरु हुआ सरकार को अस्थिर करने का खेल.
अब प्रदेश में कमल'नाथ' या कमल'राज' एमपी में कब-कब क्या-क्या हुआ
कांग्रेस नेता और एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बयान के बाद एमपी की राजनीति में अंदरखाने क्या चल रहा है, इसका खुलासा हुआ.
दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने के लिए विधायकों को 30-30 करोड़ रुपए का ऑफर देने का आरोप लगाया.
इस बीच बीजेपी नेता कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहीं बीएसपी से निष्कासित विधायक राम बाई को लेकर दिल्ली चले गए.
शिवराज सिंह और गोपाल भार्गव ने भी दिग्विजय पर निशाना साधा. शिवराज ने दिग्विजय सिंह पर सीएम कमलनाथ पर दवाब बनाने की तोहमत जड़ दी.
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बीजेपी पर 14 विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगाया.
कांग्रेस ने बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा, संजय पाठक, विश्वास सारंग और भूपेंद्र सिंह पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया.
गायब विधायक बेंगलुरू से वापस लौटे, जिसके बाद सीएम कमलनाथ से मुलाकात कर सब ऑल इज वेल के नारे लगाते हुए आगे बढ़ गए.
होलिका दहन के दिन चुप बैठे सिंधिया खेमे के विधायक और मंत्री बेंगलुरु पहुंच गए. 19 विधायकों में 6 मंत्री भी शामिल हैं, जो एमपी से उड़कर बेंगलुरु पहुंच गए.
इस बीच पूर्व सीएम शिवराज सिंह दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करते रहे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी दिल्ली में चुपके-चुपके बड़े नेताओं से मिलने की खबरें आती रहीं.
ऐसे में राज्य की राजनीति में आया भूचाल फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा. हालांकि, सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा, ये देखना दिलचस्प होगा.
एमपी में पॉलिटिकल क्राइसिस के 7 दिन
3 मार्च: सुबह दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगाए और कहा कि कांग्रेस विधायकों को दिल्ली ले जाया गया. शाम होते ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह दिल्ली पहुंचे. कांग्रेस ने देर रात दावा किया कि भाजपा ने कांग्रेस के 6, बसपा के 2 और एक निर्दलीय विधायक को गुड़गांव के आईटीसी मराठा होटल में बंधक बना लिया है. खबर फैलते ही मंत्री जीतू पटवारी और जयवर्धन सिंह दिल्ली रवाना हो गए.
4 मार्च: इस दिन दोपहर को सपा के राजेश शुक्ला बसपा के संजीव सिंह कुशवाह, कांग्रेस के ऐंदल सिंह कंसाना, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव और बसपा से निष्कासित राम बाई भोपाल पहुंची. कांग्रेस के बिसाहूलाल, हरदीप सिंह डंग, रघुराज कंसाना और निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा की लोकेशन नहीं मिल रही थी. दिग्विजय ने फिर आरोप लगाया कि भाजपा ने 4 विधायकों को जबरन गुड़गांव से बेंगलुरु शिफ्ट कर दिया है.
5 मार्च: सियासी उथलपुथल के बीच 5 मार्च को कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग ने विधानसभा अध्यक्ष और सीएम कमलनाथ को अपना इस्तीफा भेज दिया, जबकि कांग्रेस के एक अन्य लापता विधायक बिसाहूलाल सिंह के बेटे ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भोपाल के टीटी नगर थाने में दर्ज कराई. ये खबर फैलते ही एक बार फिर बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हो गई तो वहीं कांग्रेस ने बीजेपी पर सरकार को अस्थिर करने के आरोप लगाए. इसी बीच पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक संजय पाठक, नारायण त्रिपाठी और बीजेपी विधायक शरद कोल के कांग्रेस में शामिल होने की खबरों ने जोर पकड़ा. हालांकि संजय पाठक ने सीएम से मिलने और कांग्रेस में शामिल होने की अफवाहों पर विराम लगा दिया और खुद की जान को खतरा भी बता दिया.
6 मार्च: छह मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक कर सभी विधायकों को भोपाल तलब किया. उधर हटा से बीजेपी विधायक पीएल तंतुवाय के गायब होने की खबरें आईं. हालांकि दोपहर में वे सामने आये और कहा कि मेरा फोन बंद था, गायब नहीं हुआ था. चार दिनों तक चले इस सियासी ड्रामे के बाद दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आवास पर बीजेपी नेताओं की बैठक हुई. बैठक में शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा, प्रह्लाद पटेल, धर्मेंद्र प्रधान और गोपाल भार्गव मौजूद रहे.
बीते चार दिनों में प्रदेश की सियासत में जिस तरह से हलचल मची रही और हर पल नया घटनाक्रम सामने आता रहा, उससे लगा कि सरकार गंभीर खतरे से गुजर रही है, जबकि पिछले दो दिनों की शांति के बाद होलिका दहन के दिन अचानक आये सियासी तूफान ने कोहराम मचाना शुरू कर दिया. अब दोनों पार्टियां विधायक दल की बैठक बुला रही हैं. हालांकि, इस तूफान के थमने के बाद ही ये साफ हो पायेगा कि कमलनाथ ही मध्यप्रदेश के नाथ बने रहेंगे या फिर प्रदेश को कई नया नाथ मिलेगा.