हैदराबाद। पर्यूषण पर्व (Paryushan Festival) जैन धर्म का सबसे उत्तम पर्व है. इस वर्ष यह पर्व 4 सितंबर से शुरू हो गया है और 11 सितंबर तक चलेगा. इन 8 दिनों में पर्यूषण की आराधना की जाएगी. पर्युषण पर्व जैन धर्मावलंबियों का आध्यात्मिक त्योहार माना गया है. यह पर्व ऐसा लगता है मानों किसी ने दस धर्मों की माला बना कर दी हो. यह पर्व आत्म जागरण का संदेश देकर सोयी आत्मा को जगाने तथा अंतरात्मा को पहचानने की शक्ति देता है.
11 सितंबर को समाप्त होगा पर्यूषण पर्व
पर्यूषण महापर्व की आराधना के दौरान 4 सितंबर को प्रभु की अंग रचना, 5 सितंबर को पौथा जी का वरघोड़ा निकाला जाएगा. 6 सितंबर को कल्पसूत्र प्रवचन (Kalpasutra Pravachan) और 7 सितंबर को भगवान महावीर स्वामी (Lord Mahavira Swami) का जन्म वाचन पर्व मनाया जाएगा. 8 सितंबर को प्रभु की पाठशाला का कार्यक्रम और 9 सितंबर को कल्पसूत्र वाचन किया जाएगा. 10 सितंबर को बारसा सूत्र दर्शन, प्रवचन चैत्य परिपाटी, संवत्सरी प्रतिक्रमण आदि कार्यक्रम होंगे. इसके बाद सामूहिक क्षमापना पर्व 11 सितंबर को मनाया जाएगा. इसी दिन यह पर्व समाप्त हो जाएगा.
अष्ठानिका पर्व के रूप में मनाया जाता है पर्यूषण
दस दिन चलने वाले इस पर्व में प्रतिदिन धर्म के एक अंग को जीवन में उतारने का प्रयास किया जाता है, इसलिए इसे दसलक्षण पर्व भी कहा जाता है. इन खास दिनों में पूजन, प्रार्थना, पक्षाल, अंतगड़ दशासूत्र वाचन एवं अष्ठानिका प्रवचन, शाम को प्रतिक्रमण और रात्रि में प्रभु भक्ति एवं भगवान की आंगी रचाई जाएगी. श्वेतांबर जैन (Shwetambar Jain) अनुयायी पर्यूषण पर्व को अष्ठानिका पर्व के रूप में भी मनाते हैं. जिन दस धर्मों की आराधना की जाती है वे इस प्रकार हैं:-
उत्तम क्षमाः हम उनसे क्षमा मांगते है जिनके साथ हमने बुरा व्यवहार किया हो और उन्हें क्षमा करते है जिन्होंने हमारे साथ बुरा व्यवहार किया हो.
उत्तम मार्दवःधन, दौलत, शान और शौकत इंसान को अहंकारी बना देता है. ऐसा व्यक्ति दूसरों को छोटा और अपने आप को सर्वोच्च मानता है. यह सब चीजें नाशवंत है. सभी को एक न एक दिन जाना है, तो फिर परिग्रहों का त्याग करें और खूद को पहचानें.
उत्तम आर्जवःहम सब को सरल स्वभाव रखना चाहिए. कपट को त्याग करना चाहिए. कपट के भ्रम में जीना दूखी होने का मूल कारण है. आत्मा ज्ञान, खुशी, प्रयास, विश्वास जैसे असंख्य गुणों से सिंचित है. उत्तम आर्जव धर्म हमें सिखाता है कि मोह-माया, बूरे काम सब को छोड़कर सरल स्वभाव के साथ परम आनंद मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं.
उत्तम शौचः किसी चीज की इच्छा होना इस बात का प्रतीक है कि हमारे पास वह चीज नहीं है. बेहतर है कि जो आपके पास है उसके लिए परमात्मा का शुक्रिया अदा करें. उसी में काम चलायें. उत्तम शौच हमें यही सिखाता है कि शुद्ध मन से जितना मिला है उसी में खूश रहो. आत्मा को शुद्ध बनाकर ही परम आनंद मुमकिन है.