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कर्ज में डूबी MP की नगर सरकार, 13 नगर निगमों पर 320 करोड़ रुपए का लोन, नंबर 1 कर्जदार से ज्यादा नंबर 2 की चर्चा

मध्य प्रदेश सरकार के साथ ही प्रदेश के 13 नगर निगमों पर 320 करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज है. लोन लेकर के मामले में पहले पायदान पर जो नगर निगम है उसका नाम सुन सभी चौंक रहे हैं. इस नगर निगम पर कब्जे के लिए सभी पार्टियां चुनाव में एडी चोटी का जोर लगा देती हैं और जोड़ तोड़ से भी बाज नहीं आती. कर्ज का घी पीने वाले दूसरे और तीसरे पायदान पर खड़े नगर निगम का नाम तो नंबर 1 से भी ज्यादा हतप्रभ करने वाला है. इनके बारे में तो लोगों ने सोचा भी नहीं होगा.

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कर्ज में डूबी MP सरकार

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Published : Mar 21, 2023, 2:30 PM IST

Updated : Mar 21, 2023, 4:07 PM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार विकास का दावा तो करती है, लेकिन प्रदेश सरकार के साथ 16 नगर निगम बुरी तरह से कर्ज में डूबे हैं. मध्य प्रदेश के 16 में से 13 नगर निगमों पर 320 करोड़ रुपए का कर्ज है. चौंकाने वाला पहलू ये है कि इनमें से कई नगर निगमों ने फ्लोटिंग ब्याज दर पर पैसा ले रखा है. इसमें नंबर एक पर भोपाल नगर निगम है जिस पर सबसे ज्यादा 60 करोड़ 1 लाख रुपए का कर्ज है. मगर इससे ज्यादा चौंकाने वाला नाम नंबर 2 कर्जदार का है. ये हैं MP में कांग्रेस के सबसे नेता कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा नगर निगम का जो दूसरे पायदान पर है. बात करें मध्य प्रदेश सरकार की तो चुनावी साल में एमपी सरकार हर महीने 2 से 3 हजार करोड़ का ऋण ले रही है और इसी राह पर एमपी के सारे नगर निगम चल रहे हैं.

एमपी के 13 नगर निगमों पर 320 करोड़ का कर्ज

भोपाल सबसे ज्यादा कर्जदार: सबसे पहले राजधानी भोपाल के कर्ज की बात करें तो इस नगर निगम पर 60 करोड़ 1 लाख से ज्यादा का कर्ज है. जबकि कर्ज के मामले में कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा दूसरे पायदान पर है जिस पर 51 करोड़ 34 लाख का कर्ज है. तीसरे नंबर पर ग्वालियर है जिस पर 37 करोड़ 59 लाख रुपए का कर्ज है. वहीं चौथे पर जबलपुर आता है जहां 30 करोड़ 40 लाख का कर्ज नगर निगम पर है. ये लोन सीएम शिवराज के शहरी अधोसंरचना विकास योजना के दूसरे और तीसरे चरण के लिए लिया गया है.

कर्ज में डूबी MP सरकार

इंदौर है मिसाल:इंदौर स्वच्छता के मामले में नंबर 1 पर है. इसके बावजूद इस शहर पर 25 करोड़ 85 लाख का ही कर्ज है. नगर निगम द्वारा इतना काम करने पर भी एमपी का ये शहर इतने कम कर्ज में डूबा है. वहीं ऋण के मामले में मुरैना, रतलाम भी पीछे नहीं है. रतलाम पर 27 करोड़ 41 लाख और मुरैना पर 27 करोड़ 11 लाख का कर्ज है. जबकि सबसे कम कर्ज कटनी, बुरहानपुर और खंडवा के नगर निगम पर है. सभी पर करीब 8 करोड़ का कर्ज है. हालांकि 3 नगर निगमों सतना, सिंगरौली और उज्जैन की कर्ज की स्थिति की जानकारी सदन को नहीं दी गई है.

नगर निगम को 15 साल के लिए मिला कर्ज: नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह के सवाल के लिखित जवाब में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने विधानसभा में यह जानकारी दी है. बताया जा रहा है कि नगर निगमों ने ये कर्ज मध्य प्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (MPUDCL) के माध्यम से बैंकों से लिया है. ये कर्ज चुकाने के लिए राज्य सरकार को मूलधन और ब्याज की राशि का 75% भुगतान करना पड़ेगा. वहीं नगर निगम को सिर्फ 25% राशि ब्याज के रुप में देना है. ये राशि नगर निगम को 15 साल के लिए दी गई है.

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छोटे नगर निगमों ने भी लिया करोड़ों का कर्ज: प्रदेश की 16 नगर निगमों पर HUDCO (Housing and Urban Development Corporation Ltd.) का भी करोड़ों रुपए का बकाया है. सीएम इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत विकास के कामों के लिए 11,510 लाख अभी बकाया है. वहीं मुख्यमंत्री पेयजल के लिए छोटी नगर निगमों ने करोड़ों का लोन लिया है. ये भी फ्लोंटिंग ब्याज दर पर ही लिया गया है.

रीवा - 1748.37 - 10.75 %
रीवा - 1964 - 9.05 %
रतलाम - 1914 - 9.05 %

एमपी सरकार भी कर्ज में डूबी: इधर, सरकार भी लंबे कर्ज में डूबी हुई है. प्रदेश पर वित्तीय वर्ष 2022-23 में अनुमानित कर्जा 3 लाख 83 हजार करोड़ है, जिससे प्रदेश का प्रत्येक नागरिक 47 हजार रुपए के कर्ज में डूबा है. आइए जानते हैं कि सरकार कर्ज पर अब तक कितना ब्याज दे चुकी है. माना जा रहा है कि साल 2022-23 में अनुमनित ब्याज की राशि 22 हजार करोड़ रुपए की हो सकती है. बता दें कि चुनावी साल को देखते हुए सरकार हर महीने 2 से 3 हजार करोड़ का कर्ज ले रही है.

Last Updated : Mar 21, 2023, 4:07 PM IST

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