जीतू पटवारी का बड़ा बयान, बोले- शिवराज सरकार ने MP को डुबाया कर्ज में
जीतू पटवारी ने शिवराज सरकार पर आरोप लगाते हुए बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि MP सरकार इतना कर्ज ले चुकी कि पूरा का पूरा प्रदेश कर्ज में डूब गया है.
Etv Bharat
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Published : Feb 28, 2023, 6:00 PM IST
भोपाल।पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने शिवराज सरकार को आड़े हाथों लिया है. जीतू पटवारी का आरोप है कि मध्य प्रदेश ने सरकार पिछले वर्षों में इतना कर ले लिया है कि उसे चुकाने में असमर्थ है, जिसके चलते अब प्रदेश कर्ज में डूब गया है. इसके अलावा पटवारी का कहना है कि मैंने कई बार सरकार से सवाल पूछे, लेकिन कभी फाइल जल जाती हैं, कभी जानकारी एकत्रित हो रही होती है या कभी-कभी तो ये भी कह दिया जाता है कि आपके सवालों का उत्तर देने लायक नहीं है. आज तक मेरे सवालों पर मुझे कोई सटीक जवाब नहीं मिला.
कर्ज पर कर्ज ले रही शिवराज सरकार: जीतू पटवारी का कहना है कि"मध्यप्रदेश सरकार पर 4 लाख करोड़ का कर्ज हो चुका है और पिछले 3 महीने में यह 5वीं बार कर लिया जा रहा है, प्रदेश के प्रति व्यक्ति पर लगातार कर्ज बढ़ता जा रहा है. अब मध्य प्रदेश सरकार इतने कर्ज में आ गई है कि उसे हर साल 25 हजार करोड़ तो कर्ज का ही चुकाना पड़ता है. मध्य प्रदेश सरकार कंगाल हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके लगातार सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है, अभी फिर 3 हजार करोड़ का कर्ज लिया जा रहा है."
विधायकों के सवालों का जवाब नहीं देती सरकार: पूर्व मंत्री और विधायक जीतू पटवारी का कहना है कि"मध्यप्रदेश सरकार विधायकों के सवालों के उत्तर नहीं देती. खासतौर से विपक्ष में बैठने वाले विधायकों द्वारा सवालों के पूछने पर जवाब नहीं दिए जाते. मैंने सरकार से 9 बार जानकारी मांगी, लेकिन जानकारी में लिख दिया जाता है कि यह जानकारी उपलब्ध नहीं है. मैं 9 बार जानकारी मांग चुका, कई बार तो ये लिख दिया जाता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. अभी हाल ही में मैंने जब इन्वेस्टर्स मीट में कितना खर्च हुआ, उसको लेकर जानकारी मांगी तो बोला गया कि दस्तावेज जल चुके हैं."
प्रश्नों का उत्तर देने के लायक नहीं: जीतू पटवारी का कहना है कि"मैंने जब यह जानना चाहा कि मुख्यमंत्री निवास के साथ-साथ बीजेपी कार्यालय में कितने का भोज किया गया और उसमें कितनी राशि खर्च हुई है. इस बात का आज तक मुझे जवाब तो नहीं मिला, बल्कि कहा गया है कि जानकारी एकत्रित की जाती है. कई मामलों में कह दिया जाता है कि यह प्रश्न का उत्तर देने के लायक नहीं है या आपके द्वारा पूछे गए सवालों को अध्यक्ष महोदय की अस्वीकृति उपरांत सवालों को निरस्त कर दिया गया है."