भोपाल।एमपी BJP ने मिशन 2023 के लिए प्रदेश की हारी हुई सीटों पर जीत के लिए नई रणनीति पर काम शुरू करने का संकल्प लिया है. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को 121 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. इन क्षेत्रों में पार्टी ने अपने पुराने नेता- कार्यकर्ता को प्रभारी बनाया है. इन आकांक्षी सीटों के प्रभारियों को दायित्व के क्षेत्र में तालमेल और गृह जिले में पूछ-परख के संकट का सामना करना पड़ रहा है. इन प्रभारियों में कई लोग टिकट के दावेदार भी हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी 2 दिन पहले संगठन के नेताओं को समन्वय बढ़ाने की समझाइश दे चुके हैं.
अब तक इतनी बैठकें:सत्ता-संगठन के पदाधिकारियों के साथ आकांक्षी सीटों के प्रभारियों की अब तक 4-5 बैठकें हो चुकी हैं. इन बैठकों में भी तालमेल का मामला उठ चुका है. कई जिलों का प्रभारियों का कहना है कि, संबंधित विधानसभा क्षेत्र में हैं. प्रभारी मंत्री, जिले के जनप्रतिनिधि, अध्यक्ष और संभागीय प्रभारियों के बीच बेहतर तालमेल नहीं बन पा रहा. इसके बाद ऐसी कमजोर सीटों की पड़ताल की गई जिसमें 48 सीटें ऐसी निकलकर आई हैं, जहां महज 5 हजार से कम बोटों से हार-जीत हुई थी. कम अंतर से भाजपा ने 24 सीटें जीती ली थीं, जबकि 22 सीटें गंवा दी थी.
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मिशन 200 पार के लिए पार्टी का मंथन:2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ग्वालियर दक्षिण, दमोह, पथरिया, नेपानगर जैसी भाजपा की परंपरागत सीटें भी मामूली अंतर से गंवा दी थी. मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव नवंबर में हो सकते हैं. इसके लिए भाजपा ने 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए उन सीटों पर खास रणनीति बनाई जा रही है, जहां 2018 में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. दरअसल, पिछली गलतियों को न दोहराते हुए उनसे सबक लेकर पार्टी आगे बढ़ना चाहती है. पार्टी के साथ इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया भी हैं, जिन्होंने 2018 में कांग्रेस की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. बीजेपी को सर्वे रिपोर्ट में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के प्रभाव, मौजूदा विधायकों को स्थिति और कांग्रेस की स्थिति की पड़ताल की गई है.
1 हजार से कम अंतर से हारने वाली सीटें:
- ग्वालियर ग्रामीण
- सुवासरा
- जबलपुर उत्तर
- दमोह
- ब्यावरा
- राजनगर
2 हजार से कम अंतर से हारी सीटें:
- मांधाता
- गुन्नौर
- नेपानगर