भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही जीतू पटवारी के निलंबन का मामला जमकर गूंजा. सदन की कार्यवाही को 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. विपक्ष इस बात पर अड़ा रहा कि जीतू पटवारी के निलंबन की कार्यवाही सत्ता पक्ष के दबाव में की गई है. कांग्रेस विधायक दल की पहले ही रणनीति बन चुकी थी कि वह जीतू पटवारी के निलंबन की कार्यवाही को असंवैधानिक मानते हुए विधानसभा अध्यक्ष के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे. विपक्ष ने 48 कांग्रेस विधायकों की हस्ताक्षर की हुई सूची विधानसभा अध्यक्ष पर अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना विधानसभा सचिवालय को दे दी है.
स्वीकार नहीं होगा अविश्वास प्रस्ताव: विधानसभा में सत्ता पक्ष पहले से ही अलग मूड में था. उसने सीधा कह दिया की कांग्रेस ने जो सूची दी है. वह 48 लोगों की है, अतः अविश्वास प्रस्ताव की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती है. संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने जिन विधायकों की सूची दी है. वह संख्या काफी कम है. लिहाजा अविश्वास प्रस्ताव की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
सदन में कांग्रेस का हंगामा: प्रश्नकाल शुरू होते ही कांग्रेस का हंगामा शुरू हो गया था. जिसके चलते विधानसभा की कार्यवाही को 1 घंटे रोकना पड़ा. प्रश्नकाल 1 घंटे का होता है और उस कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा. फिर जब दोबारा सत्र शुरू हुआ तो लगातार हंगामा हुआ, जिसके चलते पटल पर मंत्रियों ने सूचना रख दी. विधानसभा अध्यक्ष ने ऐलान कर दिया कि विधानसभा की कार्यवाही को 13 मार्च तक के लिए स्थगित किया जाता है.
सरकार प्रजातंत्र का गला घोंट रही: नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मेरे साथी के ऊपर पुस्तक फेंक कर मारी है. ऐसा अमर्यादित व्यवहार आज तक नहीं किया गया है. लिहाजा विधानसभा अध्यक्ष से हमारी 2 मांगे हैं. अगर जीतू पटवारी को निलंबित किया तो नरोत्तम मिश्रा को निलंबित क्यों नहीं किया गया. अध्यक्ष ने एक पक्षीय कार्यवाही की है. सत्तापक्ष ने पहले से पूरा षड्यंत्र किया था. सरकार सदन नहीं चलने देना चाहती. उन्होंने कहा कि सदन चलेगा तो घोटाले खुलेंगे. प्रश्न गायब किए जा रहे हैं, अधूरी जानकारी दी जा रही, सरकार प्रजातंत्र का गला घोंट रही है.
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