भोपाल। प्रदेश में शराबबंदी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा लगातार उठाए जा रहे सवालों के बीच सरकार अब नशाबंदी के लिए सामाजिक आंदोलन चलाएगी. इसके लिए सामाजिक न्याय विभाग को नशामुक्ति के लिए जनजागरण अभियान चलाने के लिए दस करोड़ रुपए का बजट दिया गया है. हालांकि सरकार को इस साल आबकारी विभाग से करीब 10 हजार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है. इस मुकाबले शराब बंदी को लेकर जनजागरूता को लेकर बहुत ज्यादा प्रयास नहीं किए गए. पिछले साल विभाग को सिर्फ 73 लाख रुपए का बजट मिला था. जाहिर है उमा भारती की शराबबंदी की मांग पर सरकार जगजागरण अभियान तो चलाएगी, लेकिन शराबबंदी जैसा कोई कदम नहीं उठाएगी.
नशाबंदी के लिए बजट काफी कम :प्रदेश सरकार द्वारा शराबबंदी के लिए जनजागरण की बात कई बार उठ चुकी है, लेकिन इसको लेकर जो बजट दिया गया, वह ऊंट के मुंह में जीरा समान रहा है. पिछले तीन सालों में सामाजिक न्याय विभाग को नशाबंदी के लिए मुश्किल से एक करोड़ रुपए ही मिले। हालांकि पिछले कुछ समय से उमा भारती द्वारा लगातार शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए जाने का असर इस बार सामाजिक न्याय विभाग को मिले बजट पर दिखाई दिया है. इस बार सामाजिक न्याय विभाग को दस करोड़ रुपए का बजट दिया गया है. साल 2019-20 में नशाबंदी कार्यक्रम के लिए 72.79 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. साल 2020-21 में नशाबंदी कार्यक्रम के लिए 73 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. साल 2021-22 में नषाबंदी कार्यक्रम के लिए 73 लाख रुपए का बजट आवंटित किया गया था. और अब साल 2022-23 में नशाबंदी कार्यक्रम के लिए 10 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है.
आबकारी विभाग का राजस्व बढ़ रहा :राज्य सरकार ने जनजागरण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई वहीं, प्रदेश में आबकारी विभाग से सरकार के राजस्व में हर साल बढोत्तरी हुई. लोगों को शराब से मुक्ति के लिए अभियान के नाम पर नाममात्र की राशि ही दी गई. पिछले चार सालों की स्थिति देखें तो प्रदेश को इस साल ही आबकारी को करीब 10 हजार करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो पिछले सालों में सबसे ज्यादा है। साल 2020-21 में आबकारी विभाग को 9520 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था. साल 2019-20 में आबकारी विभाग को 10773 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ. साल 2018-19 में आबकारी विभाग को 9506 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ.