भोपाल। राजधानी भोपाल सहित प्रदेशभर में हाउसिंग सोसायटिओं के खिलाफ मुहिम सत्ता में बदलाव के साथ ठंडी पड़ गई है. इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्होंने सालों पहले प्लॉट किया, उसमें हाउसिंग सोसायटिओं में पैसा तो जमा कराया, लेकिन सालों बाद भी उनके हिस्से में ना तो प्लॉट आया और ना ही पैसे वापस मिले.
भोपाल इंदौर सहित प्रदेशभर में करीब 550 से ज्यादा हाउसिंग सोसायटी विवादित हैं. भोपाल इंदौर में ही करीब 3000 एकड़ जमीन विवाद में उलझी हुई है. शिवराज सरकार में मंत्री अरविंद भदौरिया के मुताबिक जल्द ही गड़बड़ी करने वाली सोसाइटियों खिलाफ मुहिम शुरू की जाएगी.
हाउसिंग सोसायटियों ने प्लॉट बेचकर कमाए करोड़ों
राजधानी में ही हाउसिंग सोसायटी के पदाधिकारियों ने बिल्डर से मिलीभगत कर खुद बिल्डर बनकर सदस्यों के हिस्से की जमीन बेच दी. जबकि सहकारिता विभाग मूकदर्शक बना बैठा रहा. आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो करीबन 3 दर्जन गृह निर्माण सोसायटियों की डेढ़ सौ एकड़ से ज्यादा जमीन गैर सदस्यों के बीच ही गई. सर्वधर्म गृह निर्माण सहकारी समिति के संचालकों ने साल 2001 से 2007 के बीच बिल्डरों को दामखेड़ा की जमीन बेच दी. कोलार स्थित कावेरी गृह निर्माण हाउसिंग सोसायटी के संचालकों ने करीब 3.03 एकड़ जमीन बिल्डरों को बेच दी और इसका खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ा, जिन्होंने प्लॉट के लिए लाखों रुपए जमा किए थे.
कावेरी गृह निर्माण हाउसिंग सोसाइटी में प्लॉट के लिए साल 1985 में ओपी गुप्ता ने पैसा जमा किया था. 30 सालों के बाद भी वे प्लॉट के लिए भटक रहे हैं. ओपी गुप्ता कहते हैं कि पिछले साल प्लॉट को लेकर उम्मीद जागी थी, जिला प्रशासन के आश्वासन के बाद उन्होंने डेवलपमेंट चार्ज के रूप में दो लाख जमा किए, लेकिन इसके बाद सोसायटी अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के ऊपर धोखाधड़ी का मामला दर्ज हो गया. इसकी वजह से यह पैसा भी डूब गया.