भोपाल।पूरे मध्यप्रदेश में जलसंकट गहरा गया है. गांवों में हालात बहुत खराब हैं. इसी माह पेयजल संकट और हैंडपंप खराब होने की 25 हजार से ज्यादा शिकायतें सीएम हेल्पलाइन पर पहुंची हैं. सबसे ज्यादा शिकायतें विंध्य क्षेत्र से सीएम हेल्पलाइप पर पहुंची हैं. 13 हजार शिकायतों पर अब भी कार्रवाई होना बाकी है. इधर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सभी जिलों में हैंडपंप सुधार कार्य के लिए शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन करने के निर्देश दिए हैं. जल स्तर गिरने के बाद बंद हुए हैंडपंप में मोटर पंप डालकर पेयजल की आपूर्ति की जाएगी. 5 हजार नए हैडपंप लगाने का भी लक्ष्य रखा गया है.
रीवा जिले में सबसे ज्यादा शिकायतें :पीने के पानी की समस्या दूर करने, खराब पड़े हैंडपंप सुधारने की सीएम हेल्पलाइन पर गुहार लगाने वालों में सबसे ज्यादा रीवा के लोग हैं. बताया जा रहा है कि रीवा के ग्रामीण इलाकों में लोगों को पीने के पानी के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. हैंडपंप हैं, लेकिन खराब पड़े हैं. यही वजह है कि अब यहां के लेागों को सीएम हेल्पलाइन से ही आस है. रीवा के 26 सौ लोगों ने सीएम हेल्पलाइन पर खराब पड़े हैंडपंप सुधरवाने की शिकायत दर्ज कराई है. रीवा में 2602 लोगों ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की. इसमें से 2076 ने सिर्फ हैंडपंप सुधरवाने की हैं.
सतना, शहडोल व भिंड जिले से शिकायतें :सतना जिले से 1826 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन पर पहुंची हैं. ये सभी हैंडपंप खराब होने, शिकायत के बाद भी इनकी मरम्मत न होने, नलकूप की मोटर खराब होने से जुड़ी हुई हैं. शहडोल जिल से सीएम हेल्पलाइन पर पिछले 25 दिनों में 1153 शिकायतें पहुंची हैं. इसमें लोगों ने हैंडपंप खराब होने, नलकूप की मोटर खराब होने की शिकायतें की हैं. अनूपपुर जिले से सीएम हेल्पलाइन पर 1053 शिकायतें पहुंची हैं. ये सभी हैंडपंप खराब होने, मोटर खराब होने और पानी न मिलने से जुड़ी हैं. भिंड जिले से 973 शिकायतें सीएम हेल्पलाइन पर पहुंची हैं. यह सभी हैंडपंप खराब होने और पानी की मोटर खराब होने से जुड़ी हुई हैं.
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50 फीसदी शिकायतों पर नहीं हुई कार्रवाई :सीएम हेल्पलाइन पर पहुंची शिकायतों में से अभी तक करीब 46 फीसदी शिकायतों का ही निराकरण हो पाया है. अभी भी 50 फीसदी से ज्यादा शिकायतों पर कार्रवाई का इंतजार है. हालांकि पीएचई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सभी शिकायतों पर कार्रवाई की जा रही है. लोगों को पीने के पानी के लिए परेशान न होने पड़े, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी की जा रही है. सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण इलाकों में है. विभागीय रिपोर्ट के अनुसार ही करीब 18608 हैंडपंप खराब हैं, इनमें से 3105 हैंडपंप सुधारने योग्य ही नहीं हैं.