भोपाल। राजनीतिक सुचिता की बात करने वाली राजनीतिक पार्टियां सत्ता में आने के पहले दावे तो तमाम करती हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद अपने दावों को भूल जाती हैं. मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबित बीजेपी अपना बताया नियम ही भूल गई. सरकार के मंत्रियों को हर साल विधानसभा के पटल पर अपनी संपत्ति का ब्यौरा रखना था, लेकिन 2017 में सिर्फ एक मंत्री के बाद किस भी मंत्री ने संपत्ति का ब्यौरा पेश नहीं किया है. जिसके बाद इस मामले में बीजेपी कांग्रेस के निशाने पर है.
2010 में की थी शिवराज ने शुरुआत
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने 2010 में मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा विधानसभा में बजट सत्र के दौरान संपत्ति का ब्यौरा सदन में पेश करने की शुरूआत की थी. हालांकि यह सिलसिला 2013 तक चलता रहा, लेकिन इसके बाद माननियों ने इसमें रूचि दिखाना बंद कर दिया. 2015 में सिर्फ तत्कालीन वित्त मंत्री जयंत मलैया ने अपनी संपत्ति सदन के पटल पर रखी थी. लेकिन बाद 2017 में कैबिनेट मंत्री गौरी शंकर बिसेन ने भी संपत्ति का ब्यौरा पेश किया. इसके बाद फिर किसी भी मंत्री ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सदन के पटल पर नहीं रखी.