नई दिल्ली/गाजियाबाद/भोपाल। नमक कानून के विरोध में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा निकाली गई दांडी यात्रा से प्रेरणा लेकर नए कृषि कानूनों के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा मिट्टी सत्याग्रह किया जा रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर की अगुवाई में किए जा रहे इस सत्याग्रह में गुजरात के 33 जिलों के 800 गांवों से मिट्टी लेकर सत्याग्रही दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच गए हैं.
मेधा पाटकर पहुंचेंगी गाजीपुर बॉर्डर 9 से 11 बजे किसान स्मारक पर कार्यक्रम
सोमवार को शहाजहांपुर बार्डर और टीकरी बार्डर पर पहुंचने के बाद सत्याग्रही मंगलवार की सुबह गाजीपुर बार्डर पहुंचेंगे. गाजीपुर बार्डर पर खुद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, राष्ट्रीय महासचिव युद्घवीर सिंह और तेजिंदर सिंह विर्क के साथ इन सत्याग्रहियों का इस्तकबाल करेंगे. गाजीपुर बार्डर पर मंगलवार सुबह 9 से 11 बजे तक किसान स्मारक स्थपित करने का कार्यक्रम है.
23 राज्यों से पहुंचेगी मिट्टी
भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने बताया कुल 23 राज्यों के हजारों गांवों की मिट्टी सत्याग्रही राकेश टिकैत को सौंपेंगे. शहीद भगत सिंह, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद, ऊधम सिंह और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों के गांवों से लाई गई इस मिट्टी से दिल्ली की सरहदों पर किसान स्मारक बनाए जाएंगे.
मलिक ने आगे बताया 30 मार्च को गुजरात के दांडी से शुरू हुए मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में शामिल सत्याग्रही बारदोली होते हुए साबरमती आश्रम पहुंचे. इसके बाद मिट्टी सत्याग्रह यात्रा हिम्मतनगर होते हुए राजस्थान के कई गांवों से निकलकर हरियाणा पहुंची और सोमवार को सत्याग्रही सोमवार को शहाजहांपुर बार्डर और टीकरी बार्डर पर दिल्ली पहुंच गए.
मास्क नहीं, तो बात नहीं- शिवराज सिंह
मंगलवार को गाजीपुर बॉर्डर पहुंचेगी यात्रा
उन्होंने बताया मंगलवार को यात्रा पहले गाजीपुर बार्डर और फिर दोपहर बाद सिंघु बार्डर पहुंचेगी. यात्रा के दौरान सत्याग्रहियों का जगह-जगह स्वागत हुआ. यात्रा में देश भर में अलग अलग क्षेत्रों में काम करने वाले सोशल ऐक्टिविस्ट कृषि कानूनों के विरोध में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा कर रहे हैं. इस मिट्टी का प्रयोग दिल्ली की सरहदों पर चार माह से चल रहे आंदोलन में शहीद हुए किसानों की याद में बनाए जाने वाले स्मारक में किया जाएगा.
मलिक ने बताया मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में नर्मदा बचाओ आदोलन की नींव रखने वाली मेधा पाटेकर के अलावा देश के अलग अलग राज्यों से ताल्लुक रखने वाले 40 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं. यात्रा की राह में आए पड़ावों पर इन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आमजन को यह बताया कि नए कृषि कानून लागू होने के बाद फसलों के व्यापार पर इन कानूनों का क्या असर पड़ेगा. कृषि कानूनो का विरोध करना क्यों जरूरी है. इस यात्राा मे शामिल लोगों का नारा है, एक मुठ्ठी दे दो मिट्टी. इस यात्रा में मेधा पाटेकर और डॉ. सुनीलम के अलावा प्रफुल्ल समंत्रा, फिरोज बोरवाला आदि कई लोग शामिल हैं.