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चुनावी वोट के लिए बापू का सहारा ले रहीं पार्टियां, बीजेपी और कांग्रेस कर रहीं कई कार्यक्रम

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Published : Sep 29, 2019, 2:05 PM IST

अगले महीने 2 राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने गांधी के नाम पर भी सियासत शुरू कर दी है. एक तरफ जहां कांग्रेस प्रदेशभर में गांधी यात्रा निकाल रही है तो वहीं बीजेपी गांधी जयंती पर अलग-अलग कार्यक्रम कर रही है.

वोट के लिए गांधी का सहारा ले रहीं पॉलिट्कल पार्टियां

भोपाल। आने वाले 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती है. गांधी जी की जयंती यूं तो हर साल बड़े ही सादगी पूर्ण तरीके से मनाई जाती है लेकिन इस बार नेताओं ने महात्मा गांधी को भी नहीं बख्शा है. अगले महीने 2 राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने गांधी के नाम पर भी सियासत शुरू कर दी है. एक तरफ जहां कांग्रेस प्रदेशभर में गांधी यात्रा निकाल रही है तो वहीं बीजेपी गांधी जयंती पर अलग-अलग कार्यक्रम कर रही है. साथ ही बीजेपी के सारे सांसद अपने-अपने क्षेत्रों में डेढ़ सौ किलोमीटर की पदयात्रा की शुरुआत कर रहे हैं.

वोट के लिए गांधी का सहारा ले रहीं पॉलिटिकल पार्टियां

महात्मा गांधी की जयंती को भारतीय जनता पार्टी एक मेगा इवेंट के तौर पर मना रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक गांधी जयंती के लिए अलग-अलग कार्यक्रम तय किए हैं. जिसमें सभी सांसदों को अपने-अपने क्षेत्रों में डेढ़ सौ किलोमीटर गांधी यात्राएं और 100 से ज्यादा उप यात्रा निकालने की जिम्मेदारी दी गई है. इस दौरान सभी सांसद प्रतिनिधि यात्रा निकालेंगे और 15 दिन क्षेत्र में रहकर यात्राओं में शामिल भी होंगे. बीजेपी गांधी दर्शन को घर-घर पहुंचाने के बहाने बड़े स्तर पर जनसंपर्क करने की कोशिश करेगी तो वहीं कांग्रेस 2 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में गांधी यात्रा निकाल रही है. कांग्रेस खासतौर से उन घरों से संपर्क बना रही है जहां कभी मध्यप्रदेश के दौरे में गांधी जी रुके थे. इसके चलते स्कूल, कॉलेज और गांधी से जुड़ी प्रतियोगिताएं कांग्रेस मध्यप्रदेश में करा रही है.

बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे को गांधी विरोधी करार देते हैं और खुद को सच्चा गांधीवादी बताते हैं. जिसको अगले महीने होने वाले महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है, क्योंकि दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है. वहीं कांग्रेस को इन दोनों राज्यों में अपनी सरकार बनाना है. अब देखना ये होगा कि क्या गांधी के सहारे दोनों पार्टियां इस चुनाव में विजयी रथ हासिल कर पाती हैं या नहीं.

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