भोपाल :सनातन संस्कृति में महाशिवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. इस साल महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 मंगलवार को हैं. धार्मिक शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा करने का विधान है. शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बेलपत्र से शिवजी की पूजा (offer belpatra on shivling) करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कई लोग इस दिन अपने-अपने घरों में रुद्राभिषेक (Mahashivratri rudrabhishek) भी करवाते हैं.
शिवार्चन हमारे जीवन का विशेष अंग है. पंडित विष्णु राजोरिया के मुताबिक महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और पार्वती के विवाह के उत्सव का पर्व है . शिव जी जन-जन का कल्याण करने वाले देवता है. पंडित राजोरिया के मुताबिक यह कामना परक पर्व है, कोई व्यक्ति अपनी कामना पूरी करने को लेकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं तो महाशिवरात्रि पर सभी काम पूरे होते हैं.
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ये हैं शुभ मुहूर्त और संयोग
शिवरात्रि पर्व का धनिष्ठा नक्षत्र में विशेष महत्व होता है. इस महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022 मंगलवार को यह पर्व आ रहा है और धनिष्ठा नक्षत्र मंगलकारी नक्षत्र है. यह शुभ संयोग कहा जाएगा. इस दिन चतुर्दशी तिथि पूरी रात रहेगी है. महाशिवरात्रि एक मार्च को सुबह 3:16 मिनट से शुरू होकर दो मार्च को सुबह 10 तक रहेगी. शिवरात्रि की पूजा (Mahashivratri puja vidhi) रात के चारों पहर में की जाती है. पहले पहर की पूजा शाम 6:21 बजे से रात्रि 9:27 बजे के बीच की जाएगी. शाम के समय 05.57 बजे से 06.12 बजे तक गोधूलि मुहूर्त रहने वाला है.
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ये है पूजन विधि (Mahashivratri worship method)
पंडित विष्णु राजोरिया (Pandit Vishnu Rajoria) के मुताबिक जिनके घरों में नमर्देश्वर हैं वो जलहरी में स्थापित करके परात में रखकर बेलपत्र (Belpatra to shivling) से पूजन करें. सबसे पहले जल से स्नान कराएं फिर दूध, दही, घी और शहद से स्नान, पंचामृत से स्नान के बाद फिर जल से स्नान कराकर उन्हें वस्त्र पहनाकर पूजन करें. इत्र और भांग मिश्रित दूध से भी स्नान कराना चाहिए. धतूरे के फूल, बेलपत्र अर्पण करना चाहिए. आरती और संकीर्तन के साथ जागरण करना चाहिए.