भोपाल। प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण की वजह से आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से बंद पड़ी हुई है. हालांकि, 20 अप्रैल के बाद कुछ जिलों में आर्थिक गतिविधियों को प्रारंभ किया गया है, लेकिन कई जगह अभी भी गतिविधियां पूर्ण रूप से प्रारंभ नहीं हो पाई है क्योंकि मजदूरों की कमी के कारण उद्योगों का काम शुरु किया जाना मुश्किल नजर आता है.
लॉकडाउन के बाद ज्यादातर मजदूर अपने गंतव्य तक पहुंच चुके हैं. कई मजदूर अभी भी सीमाओं पर अपने घर पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं, ऐसी परिस्थिति में उद्योगों को पुनः रफ्तार देना सरकार के लिए भी चुनौती है. मंत्रालय में सीएम की अध्यक्षता में उद्योगों की स्थिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गई. इस दौरान प्रदेश में अधिक से अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए उच्च स्तरीय समिति बनाने का निर्णय लिया गया है, इस समिति में प्रमुख उद्योगों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा.
उद्योगों की समीक्षा करते हुए सीएम ने कहा कि कोरोना संकट से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को उबारने के लिए आगामी समय में अधिक से अधिक निवेश को प्रदेश में आकर्षित करना होगा. उन्होंने निर्देश दिये कि इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाए, जिसमें उद्योगों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए, इस समिति की अनुशंसा के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
173 बड़े एवं 1449 छोटे उद्योग चालू
प्रमुख सचिव उद्योग डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि प्रदेश के कुल 370 बड़े उद्योगों में से वर्तमान में 173 उद्योग चालू हैं, जिनमें 40 फार्मास्युटिकल्स, 34 खाद्य प्रसंस्करण, 15 उपभोक्ता वस्तुओं, 25 पैकेजिंक तथा अन्य 59 उद्योग हैं. इसी प्रकार प्रदेश के छोटे एवं मझोले 22 हजार 307 उद्योगों में से वर्तमान में 1449 इकाइयां संचालित हैं. इन इकाइयों में 30 हजार श्रमिक कार्यरत हैं.
उद्योग चालू रखने में सावधानियां
सीएम ने निर्देश दिये कि लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में गाइड लाइन अनुसार उद्योगों के संचालन में सावधानियां रखा जाना सुनिश्चित किया जाए. प्रत्येक संस्थान कार्य के हिसाब से अपनी एसओपी लागू करें. सामाजिक दूरी के सिद्धांत का पालन सुनिश्चित करें. अपनी आंशिक क्षमता अनुसार 40 से 50 प्रतिशत उत्पादन प्रारंभ करें. जहां तक संभव हो, श्रमिकों के लिये औद्योगिक परिसर में ही रहने की व्यवस्था करें. संक्रमित जिलों में से कोई भी श्रमिक आदि नहीं आएगा, ये सुनिश्चित किया जाए. अधिक उम्र वाले मजदूरों, छोटे बच्चे वाली महिलाओं को कार्य पर नहीं बुलाया जाए तथा स्वस्थ मजदूरों को स्क्रीनिंग के बाद कार्य पर लगाया जाए.
उद्योगों की अपेक्षाएं
बैठक में अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान परिदृश्य में उद्योगों की शासन से अपेक्षाएं हैं कि उन्हें लंबित देय राशि का भुगतान हो, उद्योग नीति अंतर्गत सुविधाओं के लाभ के लिये निर्धारित समयावधि में शिथिलता मिले, औद्योगिक क्षेत्रों में वार्षिक भू-भाटक को स्थगित किया जाए, निवेश सहायता के लिए निर्धारित न्यूनतम उत्पादन क्षमता में शिथिलता की जाए तथा वास्तविक खपत के आधार पर मार्च से जून 2020 तक के विद्युत देयक का भुगतान लिया जाए .