भोपाल। कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन के शुरू होते ही कांग्रेस ने मांग की थी कि लोगों को बिजली के बिल से राहत दी जाए और गरीब मजदूर वर्ग के खाते में 10 हजार प्रति माह के हिसाब से 3 महीने की मदद की जाए.
लेकिन शिवराज सरकार ने कांग्रेस की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. बल्कि सरकार ने बिजली के बिल के मामले में जो निर्णय लिया है, उसे पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अजीबोगरीब निर्णय करार किया है.
पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा है कि सरकार ने आंकड़ों की बाजीगरी करके बिल भरना अनिवार्य कर दिया है, फ़ायदा भी सभी को नहीं, कोई माफ़ी नहीं ? वहीं उद्योग मांग कर रहे थे कि अन्य चार्ज में सरकार उन्हें छूट प्रदान कर 'जितनी खपत उतना बिल' प्रदान करे. लेकिन निर्णय सभी चार्जों में छूट का नहीं, सिर्फ़ फ़िक्स चार्ज की वसूली को अभी स्थगित का लिया गया, बाद में भरना पढ़ेगा.
वहीं गरीब, छोटे व्यवसायी , प्रवासी मजदूर एकमुश्त 10 हजार रुपये के राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं. निर्णय लिया गया कि मजदूरों के पंजीयन होंगे, छोटे व्यापारियों को 10 हज़ार रुपये तक का क़र्ज़ बैंक से दिलवाया जाएगा, जब इस महामारी में काम नहीं है, खाने को नहीं तो क़र्ज़ कहां से भरेंगे ? सिर्फ़ शिवराज सरकार की आंकड़ों की बाज़ीगरी, रियायत के नाम पर कुछ भी नहीं.