भोपाल।खासगी ट्रस्ट की जमीन बेचने को लेकर अब EOW की टीम लगातार जांच में जुटी हुई है. इस मामले में कुछ सरकारी अधिकारियों के नाम भी सामने आ रहे हैं. जिनमें सबसे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह का नाम शामिल है. इसके अलावा इस सूची में भारत सरकार के प्रतिनिधि बीके हिरजी और PWD के तत्कालीन इंजीनियर बीएन श्रीवास्तव का नाम भी शामिल है. ये सभी अधिकारी खासगी ट्रस्ट की बैठक में शामिल हुए थे. इसी मीटिंग में जमीन बेचने पर आपसी सहमति दी गई थी. हालांकि ETV भारत से फोन पर हुई बातचीत में बीपी सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले में उनकी कोई गलती नहीं है.
पढ़ें पूरा इंटरव्यू-
- सवाल- एग्रीमेंट में आपके साइन भी थे?
जवाब- 'इस सवाल के जवाब में पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह ने कहा कि हां मैं बैठक में शामिल था. अगर आपके पास वो कागज है तो उसमें आपको ये भी दिख रहा होगा कि वो किस संबंध में हैं, और किस संबंध में मैंने हस्ताक्षर किया है. जिस दस्तावेज पर मेरे हस्ताक्षर है वो दुकान बेचने के संबंध में थे'.
- सवाल- क्या संपत्ति से जुड़े दस्तावेज नहीं थे वो?
जवाब-नहीं, सिर्फ कुछ दुकानों के संबंध में वे दस्तावेज थे. एक समाचार पत्र में एक ट्रस्टी का इंटरव्यू भी छपा है, उसमें में भी उन्होंने चार दुकानों को ही बेचने की बात कही है.
- सवाल- अगर वाहन संबंधी बैठक हुई तो जमीन का मामला क्यों?
जवाब- 'बात करीब 12 साल पुरानी है. उस बैठक के बाद मैनें कई मीटिंग अटेंड की है. पहली मीटिंग में वाहन संबंधी दस्तावेज थे. जिसके बाद अगली मीटिंग में पूरे दस्तावेज रखे जाने थे, जिसमें संपत्ति को बेचे जाने के लिए सहमति देनी थी. लेकिन जहां तक मुझे याद है मैंने उन दस्तावेजों में हस्ताक्षर नहीं किया है यानि कंर्फमेशन नहीं दिया है. बता दूं, मेरे पास दस्तावेज आने से पहले ही सेल एग्रीमेंट तय हो चुका था. जो आखिरी मीटिंग होती है उसमें एग्रीमेंट कंफर्म होता है. तभी वह फाइनल मान जाता है. मैंने अभी दस्तावेज नहीं देखे हैं'.
- सवाल- क्या आपसे मुलाकात हो सकती है?
जवाब- 'फिलहाल अवॉयड करिए मुलाकात क्योंकि अब ये मामला हाईकोर्ट में जा रहा है. कोर्ट के मामलों में कभी ज्यादा बयानबाजी नहीं करनी चाहिए. इसलिए मैं अभी ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता. मैं आपको सिर्फ इतना बता सकता हूं कि मेरी कोई गलती नहीं है. बोर्ड ने मेरे सामने जो जानकारी लाई हमने सिर्फ उसमें अनुमति दी'.
- सवाल- क्या पहले से हो चुका था सेल एग्रीमेंट?
जवाब- 'हां, जो सेल एग्रीमेंट था वो मेरे इंदौर आने से पहले ही बोर्ड मीटिंग में स्वीकृत हो गया था. और मेरे सामने यही जानकारी लाई गई थी कि ये अप्रूव्ड है जो पैसे बचे हैं वो राशि दी जाए. सिर्फ इस बात के लिए ये दस्तावेज मेरे सामने आए थे. और ऐसे में राशि स्वीकृत करने के लिए ज्यादा ध्यान नहीं देना होता है. इसके बाद अगली मीटिंग में कंफर्म कर सभी औपचारिकता पूरी की जाती है. मैं पूरी तरह से तो नहीं कह सकता है, लेकिन जहां तक मुझे याद है इस मामले में मैंने कोई कंफर्मेशन नहीं दिया है'.