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किसी ने जमीन को बनाया बिछौना, तो कई कार में बिता रहे रात

राजधानी भोपाल के जयप्रकाश हॉस्पिटल में बाहर से आए मरीजों के परिजनों को रात या तो जमीन पर बितानी पड़ रही है या फिर कार में.

Families of patients are sleeping on ground and in the car
जमीन और कार में सोने को मजबूर मरीजों के परिजन

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Published : Apr 24, 2021, 10:38 AM IST

Updated : Sep 16, 2022, 7:39 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण लोगों को सबसे मुश्किल दिन दिखा रहा है. जो संक्रमित हैं, वह जिंदगी को लेकर आशंकित हैं और जो स्वस्थ्य हैं, उन्हें संक्रमण का डर सता रहा है. सबसे बुरे हाल उनके हैं जिनके अपने हॉस्पिटल के अंदर बीमारी से लड़ रहे हैं. यही स्थिति जयप्रकाश हॉस्पिटल में भी देखने को मिली, जहां बाहर से आए मरीजों के परिजनों को रात जमीन पर ही गुजारनी पड़ रही है, जबकि कई लोगों ने कार को ही अपनी गृहस्ती बना दी है.
रात 9 बजे
कोरोना के दूसरे चरण के दौरान जेपी हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या पहले से कई गुना बढ़ी है. दिन भर एंबुलेंस के सायरन से माहौल गूंजता रहता था. कोरोना टेस्ट के लिए लगने वाली लाइनें भी लंबी रहती थी, लेकिन अब सब कुछ शांत है, जैसे सब कुछ सामान्य हो गया हों.

रात 9:30 बजे
हॉस्पिटल के अंदर भर्ती कोरोना पीड़ित मरीज अच्छे स्वास्थ्य की उम्मीद में आंखें मूंदे हुए हैं. वहीं बाहर उनके परिजन जमीन पर बिछौना बनाने की तैयारी में है. पूरी उम्मीद है कि यह काली रात भी निकल जाएगी. उम्मीदों का उजियारा आएगा. इनमें राजगढ़ से विमला सिंह और उनका बेटा भी है. विमला के पति विष्णु सिंह हॉस्पिटल के अंदर कोरोना से लड़ रहे हैं. वहीं पत्नी और बेटा उनके अच्छे स्वास्थ्य की आस में हैं. उन्होंने हॉस्पिटल परिसर में ही खुले मैदान में अपना बिछौना बिछाया है.

रात 10:15 बजे
सीहोर से एक कोरोना पेशेंट को भोपाल के जेपी हॉस्पिटल में रेफर किया गया. एंबुलेंस उन्हें लेकर हॉस्पिटल पहुंची. गनीमत रही कि हॉस्पिटल में जगह उपलब्ध हो गई.

रात 11 बजे
हरदा से अपने पिता अजय सराफ का इलाज कराने जेपी हॉस्पिटल आए पंकज अपनी कार में ही सोने की तैयारी करने लगे. उन्होंने अपनी कार को ही पूरी गृहस्थी बना ली. वह जरूरत की सभी चीजें गाड़ी की डिक्की में रखे हुए है.

रात 11:20 बजे
जननी एक्सप्रेस के ड्राइवर संतोष एक गर्भवती महिला को लेकर जेपी हॉस्पिटल पहुंचे. दिन भर का हिसाब रजिस्टर में मेंटेन करने लगे. संतोष ने बताया कि पूरे दिन में अब मुश्किल से 10 से 12 गर्भवती महिलाएं ही हॉस्पिटल एंबुलेंस से आती है, जबकि कोविड के पहले यह संख्या औसतन 25 की होती थी.

रात 12 बजे
रात 12 बजे ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी हॉस्पिटल परिसर में खड़े रहे. कुछ दूर गेट के पास पैरामेडिकल स्टाफ और नर्स बात करने लगी.

Last Updated : Sep 16, 2022, 7:39 PM IST

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