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पेंशन के भार से कराहती सरकार! अगले वित्तीय वर्ष में 19000 करोड़ बढ़ेगा खर्च

राज्य सरकार पर हर साल पेंशन के रूप में एक हजार करोड़ रुपए का बोझ बढ़ रहा है. 7 साल पहले यह 6 करोड़ 836 करोड़ था, जो अगले वित्तीय वर्ष में बढ़कर 19 हजार 881 करोड़ पहुंचने का अनुमान है

Employees organizations are demanding pension again
शिवराज

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Published : Jan 27, 2021, 3:58 PM IST

Updated : Feb 24, 2021, 1:23 PM IST

भोपाल।बजट की तैयारी में जुटी मध्य प्रदेश सरकार पेंशन के बोझ को कम करने की रास्ता निकालने की कोशिश में जुटी है. पेंशन का बोझ प्रदेश सरकार पर लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्य सरकार पर हर साल पेंशन के रूप में एक हजार करोड़ रुपए का बोझ बढ़ रहा है. 7 साल पहले यह 6 करोड़ 836 करोड़ था, जो अगले वित्तीय वर्ष में बढ़कर 19 हजार 881 करोड़ पहुंचने का अनुमान है. उधर कर्मचारी संगठन पेंशन शुरू करने को लेकर आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं.

पेंशन बन रही परेशानी

हर साल बढ़ रहा सरकार पर बोझ

आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश सरकार पर कर्मचारियों की पेंशन और भत्तों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है. मौजूदा वित्तीय वर्ष में पेंशन के रूप में 16992 करोड़ रुपए की राशि का प्रबंध करना पड़ा है.

  • साल 2014-15 में पेंशन का खर्च 6836 करोड़ था, जो 2016-17 में बढ़कर 8739 करोड़ पहुंच गया.
  • 2018-19 में पेंशन का खर्च 11 हजार 983 करोड़ और 2019-20 में 13 हज़ार 499 करोड़ हो गया.
  • 2020-21 मई 16 हजार 992 करोड़ हो गया. वित्त विभाग का अनुमान है कि 2320 में पेंशन और भत्तों के लिए 27215 करोड़ों रुपए की जरूरत होगी.

प्रदेश में रिटायर्ड होने वालों की संख्या बढ़ने के साथ ही पेंशन का भार भी सरकार पर बढ़ता जा रहा है. आगामी 10 साल में खर्च 50 हज़ार करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है.

  • 2014 -15 - 6836 करोड़
  • 2015- 16 - 7818 करोड़
  • 2016-17 - 8793 करोड़
  • 2017- 18 - 9290 करोड़
  • 2018- 19 - 11983 करोड़
  • 2019 -20 - 13499 करोड़
  • 2020- 21 - 16992 करोड़
    कर्मचारी संघ की मांग

कर्मचारी संगठन पेंशन व्यवस्था शुरू करने की कर रहे मांग

प्रदेश में 2005 से पेंशन के लिए नए नियम लागू हो चुके हैं. इसके तहत साल 2005 के बाद नियुक्ति पाने वाले कर्मचारियों को पेंशन पाने का नियम नहीं है. नियम लागू होने के बाद से ही कर्मचारी संगठन लगातार फिर से पेंशन व्यवस्था शुरू करने की मांग कर रहे हैं. अपनी इस मांग को लेकर एक बार फिर कर्मचारी संगठन आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं. मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर के मुताबिक जब विधायकों को पेंशन की व्यवस्था दी जा सकती है, तो फिर कर्मचारियों के साथ सरकार इस तरह का भेदभाव क्यों कर रही है. रिटायर्ड होने के बाद आएगी स्रोत खत्म होने से कर्मचारियों के सामने बड़ी आर्थिक समस्या खड़ी हो रही है.

उधर लोगों ने दिया सुझाव कम करें कर्मचारियों का वेतन

उधर राज्य सरकार आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के बजट के लिए लोगों से सुझाव मांग रही है. दमोह के संतोष सिंह ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि प्रदेश में बेरोजगारी कम करने के लिए सरकारी भर्तियां बढ़ानी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार को कर्मचारियों की सैलरी कम करनी चाहिए. राज्य सरकार को इस तरह की कई और सुझाव बजट के लिए मिले हैं.

Last Updated : Feb 24, 2021, 1:23 PM IST

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