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कौमी एकता की मिसाल: इस गांव में मुहर्रम पर हिंदु परिवार निकालते हैं ताजिया

बैरासिया के पीपलखेड़ी गांव में मुस्लिमों के त्योहार मुहर्रम को धूमधाम से हिंदू मनाते हैं और ताजिया निकालते हैं.

Due to Corona infection, there will be no public program on Moharram in Pipalkhedi
400 साल बाद पीपलखेड़ी गांव में मोहर्रम पर नही होगा सार्वजनिक कार्यक्रम

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Published : Aug 29, 2020, 1:22 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल से करीब 55 किलोमीटर दूर बैरसिया का पीपलखेड़ी गांव हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बना हुआ है. इस गांव में लगभग 400 साल से मुहर्रम के दिन बड़ा अलग नजारा देखने को मिलता है, कहने को तो ये राजपूतों का गांव है और यहां पर एक भी मुसलमान परिवार नहीं है. बावजूद इसके इस गांव के लोग मुसलमानों के त्योहार मुहर्रम को पूरी शिद्दत और अकीदत के साथ मनाते हैं.

मुहर्रम की 2 तारीख से लेकर 12 तारीख तक किसी प्रकार का उत्सव नहीं मनाते हैं, इस दौरान केवल सादा भोजन खाते हैं. मुहर्रम की 10 तारीख को यहां पर ग्रामीण ताजिया बनाते हैं और उन पर लोहबान और अगरबत्ती चढ़ाई जाती है, जिसके बाद ग्रामीण ताजिया को पूरे गांव में घुमाते हैं और आखिर में उनको नदी में ठंडा कर देते हैं.

ताजिए में ग्रामीणों की आस्था और विशवास है, जिसके लिए दूर दूर से लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं. मन्नत पूरी होने पर ताजिया बनाते हैं, शुरू में गांव में केवल 5 ताजिया बनते थे, पिछले साल 50 से ज्यादा ताजिया बनाए गए थे. पीपलखेड़ी गांव के लोगों का कहना है कि उनके गांव में स्थित मजार वाले पीर महाराज उनके गांव के रक्षक हैं, इसीलिए वो हर साल मोहर्रम पर ताजिया बनाते हैं. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण और प्रशासन के आग्रह पर सीमित कार्यक्रम आयोजित किया गया है.

शहर में सार्वजनिक रूप से प्रतिमा विसर्जन और ताजिया विसर्जन पर रोक लगी है, बैरासिया एसडीएम ने भी क्षेत्र में सार्वजिक रूप से विसर्जन और ताजिया विसर्जन पर रोक लगा दी है. इसी को देखते हुए एसडीएम आरएन श्रीवास्तव और एसडीओपी एमएमए कुमावत कल पीपलखेड़ी गांव पहुंचे. जहां उन्होंने ग्रामीणों को समझाइश दी और इस बार मोहर्रम पर सार्वजनिक रूप से ताजिया कार्यक्रम नही करने की बात कही.

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