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Digvijay On Uma: दिग्विजय सिंह को सताई उमा भारती के सियासी भविष्य की चिंता, बोले- बीजेपी ने जो किया वो...

कहते हैं राजनीति में कब कौन किसका हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. ऐसा ही कुछ वाक्या अवंतीबाई की जयंती कार्यक्रम में देखने मिला. जहां पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को उमा भारती की फिक्र हो गई. दिग्विजय सिंह ने उमा भारती के सियासी भविष्य की चिंता जताई.

Digvijay Singh And Uma
दिग्विजय और उमा

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Published : Aug 16, 2023, 9:21 PM IST

दिग्विजय को सताई उमा की चिंता

भोपाल। मानहानि के मुकदमें...ट्वीटर वॉर....बयानी हमले. बीजेपी जिस मिस्टर बंटाधार का इस्तेमाल दिग्विजय सिंह के लिए करती है, वो भी उमा भारती का ही दिया हुआ है. खैर ये भूमिका इसलिए कि आप जान सकें कि राजनीति में रंजिश किस दर्जे तक जाती है. कैसे किसी की फिक्र भी सियासत में लिपटी आती है. बात दिग्विजय सिंह और उमा भारती की ही हो रही है. मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दो नेताओं की सियासी अदावत इसलिए भी यादगार है, क्योंकि इनकी सियासी ल़ड़ाई और जीत हार के साथ मध्य प्रदेश ने राजनीति का नया मोड़ देखा था. तो अदावत में अब फिक्र आ गई है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उमा भारती के सियासी भविष्य को लेकर चिंता जताई और कहा है कि "उनके साथ बीजेपी ने जो बर्ताव किया कि आज उमा भारती अपनी लड़ाई लड़ रही हैं."

दिग्विजय सिंह को उमा भारती की चिंता:रानी अवंतीबाई की जयंती कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने उमा भारती के साथ उनके रिश्तों को रेखांकित करते हुए कहा कि "उमा भारती को मैं छोटी बहन मानता रहा हूं. उन्होंने कहा कि हालांकि मेरे मध्य प्रदेश की सत्ता से जाने के बाद वो मुख्यमंत्री बनीं. लेकिन हमारे संबंध मधुर रहे. फिर उन्होंने बीजेपी में उमा भारती की स्थिति को लेकर कहा कि उनके साथ जो व्यवहार भाजपा ने किया है. जिस प्रकार से आज उमा भारती अपनी लड़ाई लड़ रही है. दिग्विजय ने कहा कि शराबबंदी के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.

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लोधी वोटरों को लुभाने थी क्या ये फिक्र:असल में उमा भारती लोधी समाज से आती हैं. इस वर्ग में उमा भारती के लिए उस समय से सहानुभूति है. जब उमा भारती सत्ता से बेदखल हुई थी. लोधी समाज का एमपी में करीब नौ फीसदी का वोट बैंक है. करीब 65 सीटें ऐसी हैं, जहां लोधी वोटर निर्णायक है. बीजेपी से लगातार लोधी समाज की दूरी हो रही है. 2018 के विधआनसभा चुनाव में जब उमा भारती एमपी की राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं थीं, बुंदेलखंड की 50 सीटों में से 24 सीटें बीजेपी और 26 सीटें कांग्रेस को मिली थी.

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