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एमपी में डेल्टा-ओमीक्रॉन वैरिएंट का बढ़ता खतरा! मंत्रियों की जीनोम सीक्वेंसिंग कराएगी सरकार, पॉजिटिविटी रेट में इंदौर-भोपाल-उज्जैन में टक्कर - एमपी में डेल्टा ओमीक्रॉन वैरिएंट का बढ़ता खतरा

यदि किसी को एक बार कोरोना हो गया तो ये निश्चित नहीं है कि उसे दोबारा कोरोना (Corona positive getting infected again and again) नहीं हो सकता है, बिल्कुल कोरोना संक्रमित मरीज दोबारा संक्रमित हो सकता है. अगर शरीर में एक बार एंटीबॉडी बन जाती है तो मरीज को गंभीर बीमारी होने और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना न के बराबर रहती है. जो बार-बार कोरोना संक्रमित होते हैं, उन्हें ही एक्टिव मरीजों की श्रेणी में रखा जाता है. एमपी सरकार सभी कोरोना संक्रमित मंत्रियों की जीनोम सीक्वेंसिंग कराएगी.

Corona positive getting infected again and again
पॉजिटिव के बाद फिर हो रहे पॉजिटिव

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Published : Jan 21, 2022, 8:49 AM IST

Updated : Jan 21, 2022, 10:43 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में रोजाना 7000 से 8000 नए कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं. अभी प्रदेश में 49000 से अधिक एक्टिव मरीज हैं. जिन मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद दोबारा पॉजिटिव आती रहती है. उन्हीं को एक्टिव मरीजों की श्रेणी में रखा जाता है. प्रदेश के पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के 15 दिन में दूसरी बार संक्रमित (Corona positive getting infected again and again) होने पर ये बातें सामने आ रही हैं कि क्या डेल्टा वैरिएंट के बाद ओमीक्रॉन का खतरा भी मरीजों में बढ़ गया है. अब एमपी सरकार सभी कोरोना संक्रमित मंत्रियों की जीनोम सीक्वेंसिंग कराएगी.

तीन से चार माह तक शरीर में बनी रहती है एंटीबॉडी

कोरोना के दो वैरिएंट मरीजों पर अलग-अलग अटैक कर रहे हैं, ऐसा पंचायत मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया के 15 दिन में दूसरी बार संक्रमित होने के कारण सामने आया है. कोरोना से ठीक होने वाले मरीज मानते हैं कि उन्हें दोबारा कोरोना नहीं होगा क्योंकि एक बार संक्रमित होने पर शरीर में 3 से 4 माह के लिए एंटीबॉडी रहने की बात कही जाती है. शरीर के अनुसार एंटीबॉडी अलग-अलग समय के लिए रहती है. वैक्सीनेटेड एंटीबॉडी का समय अलग रहता है. समय के साथ धीरे-धीरे एंटीबॉडी भी डाउन होने लगती है. बार-बार इंफेक्शन होने से भी एंटीबॉडी कम होती जाती है. मंत्री के 15 दिन में दूसरी बार संक्रमित होने पर एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है, इसलिए दो अलग-अलग वैरिएंट से संक्रमित होने की आशंका बहुत ज्यादा है.

नेचुरल एंटीबॉडी लंबे समय तक शरीर में बनी रहती है

कोरोना संक्रमित के ठीक होने पर शरीर में 4 से 6 महीने तक एंटीबॉडी रहती है, नेचुरल तरीके से एंटीबॉडी बनने पर उसके शरीर में लंबे समय तक बने रहने की संभावना रहती है. एंटीबॉडी रहने पर कोरोना के दोबारा संक्रमित होने की आशंका कम रहती है, लेकिन कोरोना के नए-नए वैरिएंट के साथ ही अब ओमीक्रॉन ने बहुत कुछ बदल दिया है. हमीदिया में कोविड टीम के इंचार्ज रहे डॉ. पराग शर्मा कहते हैं कि किसी भी मरीज में एक बार एंटीबॉडी डेवेलप होने पर दोबारा कोविड की संभावना उतनी नहीं होती है कि उसे गंभीर श्रेणी में शामिल किया जाए. यह कहना गलत होगा कि जिसे डेल्टा वैरिएंट के माध्यम से कोरोना हुआ है, उसमें ओमीक्रॉन के लक्षण (growing threat of Delta-Omicron variant of corona pandemic in MP) नहीं हो सकते. किसी भी मरीज को अगर करोना होता है तो जब वह ठीक होता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है, यही एंटीबॉडी वैक्सीन लगाने से भी डेवेलप होती है. पर ये कहना गलत है कि जिसे एक बार कोविड हुआ है, उसे दोबारा कोविड नहीं हो सकता है.

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ठीक होने के चौथे दिन ही मंत्री फिर हुए कोरोना पॉजिटिव

सिसोदिया जनवरी के पहले सप्ताह में मुंबई अन्य बीमारी का इलाज कराने गए थे. वहां उन्हें सर्दी-खांसी होने पर 6 जनवरी को कोविड की जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट 8 जनवरी को पॉजिटिव आई थी. इसके बाद इलाज से वह ठीक हो गए, 13 जनवरी को उन्होंने जांच कराई तो निगेटिव रिपोर्ट आई. 17 जनवरी को फिर बुखार और सर्दी जुकाम के लक्षण होने पर दोबारा जांच कराई, जिसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. लगातार ये बातें सामने आ रही है कि क्या पॉजिटिव होने वाला व्यक्ति निगेटिव होने के बाद दोबारा पॉजिटिव हो सकता है. इसके पहले परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी दोबारा कोरोना पॉजिटिव हुए हैं. अब शिवराज सरकार सभी मंत्रियों के स्वैब की जीनोम सीक्वेंसिंग कराएगी.

एक्टिव मरीजों की श्रेणी में बार-बार पॉजिटिव आने वाले मरीज

पराग शर्मा के अनुसार कोविड के वही मरीज एक्टिव मरीजों की श्रेणी में रखे जाते हैं, जो बार-बार पॉजिटिव होते हैं. एक बार के बाद दूसरी या तीसरी और चौथी रिपोर्ट तक उनकी पॉजिटिव आती रहती है. ऐसे मरीजों को ही एक्टिव मरीज कहा जाता है. फिलहाल पराग के अनुसार कोरोना से बचने का उपाय वैक्सीन और मास्क ही है. ओमीक्रॉन की पहचान के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग बहुत महत्वपूर्ण होती है, इसका टेस्ट दिल्ली में होता है. भोपाल के अलावा प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में इसके लिए मशीनें लगाई जाने वाली थी, लेकिन अभी तक इस मामले में स्थिति क्लीयर नहीं है, ये मशीनें कब लगेंगी फिलहाल सभी को इसका इंतजार है.

जीनोम सीक्वेंसिंग से ही ओमीक्रॉन की पहचान संभव: विशेषज्ञ

पराग शर्मा बताते हैं कि अभी संक्रमित के 15 दिन में दोबारा इंफेक्टेड होने की आशंका ज्यादा है. इसका कारण कोरोना के नए-नए वैरिएंट सामने आना है. अभी प्रदेश में डेल्टा और ओमीक्रॉन दो वैरिएंट से मरीजों के संक्रमित होने के मामले देखने को मिल रहे हैं. डेल्टा वैरिएंट को ओमिक्रॉन तेजी से रिप्लेस कर रहा है. ओमीक्रॉन धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. डेल्टा की एंटीबॉडी को बायपास कर रहा है, इसलिए दूसरी बार ओमीक्रॉन से संक्रमित होने की आशंका ज्यादा है. हालांकि, इसकी पहचान जिनोम सीक्वेंसिंग से ही संभव है. इस तरह के ज्यादा मामले हेल्थकेयर वर्कर्स में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं.

इंदौर रोजाना तोड़ रहा है अपना ही रिकॉर्ड

मध्यप्रदेश के 28 जिलों में कोरोना संक्रमण 5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है, 15 दिन पहले 100 सैंपल में एक की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही थी, अब ये संख्या बढ़कर 10 हो गई है. प्रदेश की संक्रमण दर 1% से बढ़कर 12% पहुंच गई है. इंदौर और भोपाल के हालात बिगड़ने लगे हैं. 16 ऐसे जिले हैं, जहां 100 या उससे ज्यादा मरीज 24 घंटे में मिल रहे हैं. इंदौर में कोरोना संक्रमण लगातार दूसरे दिन भी रिकॉर्ड तोड़ा है. यहां 24 घंटे में 3005 मरीज मिले हैं. एक दिन पहले यह संख्या दो हजार थी. यहां दूसरी लहर में एक दिन में 25 अप्रैल को 1841 केस सबसे अधिक आए थे.

भोपाल भी दूसरी लहर के रिकॉर्ड के करीब पहुंचा

भोपाल में दूसरी लहर में 28 अप्रैल को सबसे ज्यादा 1853 मरीज मिले थे. तीसरी लहर में यहां 24 घंटे में 1710 मरीज मिले हैं, यानी सिर्फ 143 कम. अगर यही स्थिति रही तो ये रिकॉर्ड जल्द ही टूट जाएगा. प्रदेश में 24 घंटे में 9389 नए मरीज मिले हैं. ग्वालियर में एक मौत भी रिपोर्ट हुई है. एक्टिव मरीजों की संख्या 49000 के पार पहुंच गई है. केन्द्र सरकार की 12 से 18 जनवरी की साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार 28 जिलों में पॉजिटिविटी दर 5% के ऊपर पहुंच गई है. इनमें 8 जिलों में संक्रमण दर 10% से ऊपर है. उज्जैन 38.10 प्रतिशत संक्रमण दर के साथ भोपाल और इंदौर से भी आगे है.

Last Updated : Jan 21, 2022, 10:43 AM IST

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