भोपाल। मध्यप्रदेश में रोजाना 7000 से 8000 नए कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं. अभी प्रदेश में 49000 से अधिक एक्टिव मरीज हैं. जिन मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद दोबारा पॉजिटिव आती रहती है. उन्हीं को एक्टिव मरीजों की श्रेणी में रखा जाता है. प्रदेश के पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के 15 दिन में दूसरी बार संक्रमित (Corona positive getting infected again and again) होने पर ये बातें सामने आ रही हैं कि क्या डेल्टा वैरिएंट के बाद ओमीक्रॉन का खतरा भी मरीजों में बढ़ गया है. अब एमपी सरकार सभी कोरोना संक्रमित मंत्रियों की जीनोम सीक्वेंसिंग कराएगी.
तीन से चार माह तक शरीर में बनी रहती है एंटीबॉडी
कोरोना के दो वैरिएंट मरीजों पर अलग-अलग अटैक कर रहे हैं, ऐसा पंचायत मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया के 15 दिन में दूसरी बार संक्रमित होने के कारण सामने आया है. कोरोना से ठीक होने वाले मरीज मानते हैं कि उन्हें दोबारा कोरोना नहीं होगा क्योंकि एक बार संक्रमित होने पर शरीर में 3 से 4 माह के लिए एंटीबॉडी रहने की बात कही जाती है. शरीर के अनुसार एंटीबॉडी अलग-अलग समय के लिए रहती है. वैक्सीनेटेड एंटीबॉडी का समय अलग रहता है. समय के साथ धीरे-धीरे एंटीबॉडी भी डाउन होने लगती है. बार-बार इंफेक्शन होने से भी एंटीबॉडी कम होती जाती है. मंत्री के 15 दिन में दूसरी बार संक्रमित होने पर एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है, इसलिए दो अलग-अलग वैरिएंट से संक्रमित होने की आशंका बहुत ज्यादा है.
नेचुरल एंटीबॉडी लंबे समय तक शरीर में बनी रहती है
कोरोना संक्रमित के ठीक होने पर शरीर में 4 से 6 महीने तक एंटीबॉडी रहती है, नेचुरल तरीके से एंटीबॉडी बनने पर उसके शरीर में लंबे समय तक बने रहने की संभावना रहती है. एंटीबॉडी रहने पर कोरोना के दोबारा संक्रमित होने की आशंका कम रहती है, लेकिन कोरोना के नए-नए वैरिएंट के साथ ही अब ओमीक्रॉन ने बहुत कुछ बदल दिया है. हमीदिया में कोविड टीम के इंचार्ज रहे डॉ. पराग शर्मा कहते हैं कि किसी भी मरीज में एक बार एंटीबॉडी डेवेलप होने पर दोबारा कोविड की संभावना उतनी नहीं होती है कि उसे गंभीर श्रेणी में शामिल किया जाए. यह कहना गलत होगा कि जिसे डेल्टा वैरिएंट के माध्यम से कोरोना हुआ है, उसमें ओमीक्रॉन के लक्षण (growing threat of Delta-Omicron variant of corona pandemic in MP) नहीं हो सकते. किसी भी मरीज को अगर करोना होता है तो जब वह ठीक होता है तो उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है, यही एंटीबॉडी वैक्सीन लगाने से भी डेवेलप होती है. पर ये कहना गलत है कि जिसे एक बार कोविड हुआ है, उसे दोबारा कोविड नहीं हो सकता है.
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ठीक होने के चौथे दिन ही मंत्री फिर हुए कोरोना पॉजिटिव
सिसोदिया जनवरी के पहले सप्ताह में मुंबई अन्य बीमारी का इलाज कराने गए थे. वहां उन्हें सर्दी-खांसी होने पर 6 जनवरी को कोविड की जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट 8 जनवरी को पॉजिटिव आई थी. इसके बाद इलाज से वह ठीक हो गए, 13 जनवरी को उन्होंने जांच कराई तो निगेटिव रिपोर्ट आई. 17 जनवरी को फिर बुखार और सर्दी जुकाम के लक्षण होने पर दोबारा जांच कराई, जिसमें उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. लगातार ये बातें सामने आ रही है कि क्या पॉजिटिव होने वाला व्यक्ति निगेटिव होने के बाद दोबारा पॉजिटिव हो सकता है. इसके पहले परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी दोबारा कोरोना पॉजिटिव हुए हैं. अब शिवराज सरकार सभी मंत्रियों के स्वैब की जीनोम सीक्वेंसिंग कराएगी.