भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार एक बार फिर एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी कर रही है. सरकार की माने तो ये कर्ज प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए लिया जा रहा है. सरकार ने अभी 15 दिन पहले ही दो हजार करोड़ का कर्ज लिया था और अब एक हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है. सरकार के कर्ज लेने के कदम को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. मध्यप्रदेश भाजपा का आरोप है कि प्रदेश की सरकार देश में सबसे ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थ पर टैक्स ले रही है. गांव-गांव, घर-घर शराब बेच रही है, उसके बाद भी कर्ज लेना पड़ रहा है. इसका मतलब है कि सरकार कंबल ओढ़ कर घी पी रही है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि हमारी सरकार ने 365 दिनों में 365 वचन पूरे किए और विकास कार्य के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है. प्रदेश विकास की ओर अग्रसर हो रहा है. ऐसी स्थिति में कर्ज लेना गलत नहीं है.
कांग्रेस सरकार फिर लेगी एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज, पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार एक बार फिर एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी कर रही है. सरकार की माने तो ये कर्ज प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए लिया जा रहा है.
मध्यप्रदेश की मौजूदा स्थिति में देखें तो प्रदेश पर फिलहाल एक लाख 80 हजार 288 करोड़ रुपए का कर्ज है. कमलनाथ सरकार पिछले 1 साल में 20,810 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. साल भर में ये 22 वां मौका है, जब सरकार कर्ज लेने जा रही है. इस मामले में मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का आरोप है कि कांग्रेस जब से सरकार में आई है, तब से लूटपाट मची है. कोई विकास नहीं हो रहा है, जन कल्याणकारी योजनाएं ठप पड़ी हुई हैं. विकास की दर लगातार पीछे खिसक रही है, कर्ज बढ़ रहा है. हालात समझी जा सकती हैं. राजस्व के दूसरे उपाय उन्होंने खोजे ही नहीं हैं.
वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस के संगठन महामंत्री राजीव सिंह का कहना है कि राज्य बहुत बड़ा है. जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई और सत्ता संभाली तो हमें जो आर्थिक स्थिति मिली, उसको देखते हुए यदि पूरे साल भर के कमलनाथ सरकार के काम को देखते हैं तो उन्होंने जनता की भावनाओं के अनुरूप 365 दिनों में 365 रन पूरे किए. जनता को जो वचन दिए, वो निभाए हैं. जब विकास होता है, काम होते हैं तो पैसा लगता है.