भोपाल।भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) में स्थानों, स्टेशनों और जगहों के नाम बदलने को लेकर पिछले कई सालों से लगातार राजनीति चल रही है. अब मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में विश्व स्तरीय स्टेशन हबीबगंज का नाम बदलकर गौंड़ रानी कमलापति (Rani Kamalapati) के नाम पर किया जाना मुकर्रर हुआ है. इस नाम बदलने की राजनीति के पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने अपने दांव से सभी को किनारे लगा दिया है और जनता के बीच यह संदेश दिया है कि वह आदिवासियों के नाम पर कोई समझौता नहीं करेंगे.
PM Modi Bhopal visit:चार घंटे के दौरे के लिए एमपी सरकार खर्च करेगी 25 करोड़ से ज्यादा !
सांसद और मंत्री की मांग को किया दरकिनार
भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (MP Pragya Singh Thakur) पिछले कई महीनों से हबीबगंज स्टेशन (Habibganj railway station) का नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर करने की मांग करती रही हैं. इसको लेकर सांसद ने कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी स्टेशन का नाम अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर करने की मांग की थी. वही मंत्री विश्वास सारंग की मंशा यह थी कि उनके पिता और पूर्व राज्यसभा सांसद कैलाश सारंग के नाम पर स्टेशन का नाम हो, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दोनों की मांग को दरकिनार करते हुए रानी कमलापति के नाम पर स्टेशन का नाम रखने पर मोहर लगवा दी.
आदिवासियों को महत्त्व देने का दिया संदेश
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अजय बोकिल का कहना है कि हबीबगंज स्टेशन के नाम बदलने को लेकर राजनीति तो हुई है. इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह देखा कि बड़ा फायदा किस में है. इसके तहत ही सीएम ने आदिवासियों को महत्व देने का मैसेज दिया है. उन्होंने रानी कमलापति (Rani Kamalapati) के नाम पर स्टेशन का नाम करने को तवज्जो दी है. बोकिल मानते हैं कि राजनीतिक महत्व की दृष्टि से सीएम और सरकार का यह फैसला बिल्कुल सही है. मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार संदेश देना चाहती है कि वो आदिवासियों के साथ है, इसीलिए मध्य प्रदेश की राजधानी में जनजाति गौरव सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है.
वाजपेई व सारंग के नाम पर सहमति क्यों नहीं बनी