भोपाल। कैंसर की बीमारी भारत के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है. हजारों की संख्या में लोग हर साल कैंसर की चपेट में आ रहे हैं और समय पर इलाज ना मिल पाने के कारण कई मरीज मौत के शिकार हो जाते हैं पर कई खुशनसीब ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सही समय पर इलाज मिलने और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण वे इस बीमारी से जीत जाते हैं. राजधानी भोपाल से भी कई ऐसे मामले हमारे सामने हैं, जहां मरीज ने इस भयंकर बीमारी से अपनी जंग जीती है और आज समाज को इस बीमारी से बचने के लिए जागरुक भी कर रहे हैं.
क्या कहना है कैंसर सर्वाइवर का
ब्रेस्ट कैंसर की जंग जीतने वाली ललिता खाब्या कहती हैं कि 'मैंने हमेशा सबका ख्याल रखने पर ध्यान दिया पर कभी खुद का ख्याल नहीं रखा, मुझे अगर कोई परेशानी भी हो रही थी तो मैंने उसे गंभीर रूप से नहीं लिया, जिसके कारण मुझे लगता है कि मैं इस बीमारी की चपेट में आई, लेकिन बीमारी के इलाज के दौरान मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया और उनके कारण ही मैं इस बीमारी से ठीक हो पाई हूं.'
रुचिका सचदेवा जो कि एक ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर हैं, वह अपने अनुभव के बारे में बताती हैं कि 'साल 2016 में जब मुझे पता चला कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है तो मैं यह जानती थी कि मैं मरने वाली नहीं हूं क्योंकि अगर यह डर होता है तो इंसान टूट जाता है. मुझे पता था कि अब इलाज संभव है और मैं इससे निकल जाऊंगी, यह मुश्किल होगा पर मुझे इससे निकलना था. किसी भी कैंसर पेशेंट को अपने लिए डर नहीं लगता, वह अपने परिवार के लिए डरता है, लेकिन अगर सकारात्मक दृष्टिकोण अपना लिया जाए तो इस बीमारी से जीता जा सकता है.'
एक अन्य कैंसर सर्वाइवर वनीता जालोरी में बताया कि 'वह रोजाना मॉर्निंग वॉक पर जाती थी पर मैंने इसे बंद कर दिया जिसके कारण मेरा वजन बढ़ गया, मोटापा बढ़ने के कारण मुझे कैंसर हुआ पर मेरी जागरूकता के कारण मुझे उसके बारे में जानकारी थी, जब मैंने पहली बार अपनी जांच करवाई तो वह नेगेटिव आयी पर कुछ सालों बाद फिर से समस्याएं हुई और जब मैंने दोबारा से जांच करवाई तो वह पॉजिटिव थी. इस दौरान मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया, हमने डॉक्टर की पूरी सलाह मानी और मैंने यह ठान लिया था कि मेरे शरीर में जो यह एक अनचाहा मेहमान आया है इसे भगाना ही है और इसी बात के कारण में ठीक हो पाई हूं.'
असंतुलित लाइफ स्टाइल और जागरुकता की कमी कैंसर का बड़ा कारण