भोपाल। हो दास्तान ए राम और इस दास्तान यानि कथा को बांचने वाली हों फौजिया दास्तानगो. (Fauzia Dastango Bhopal) राम के वनवास से लेकर सीता के बिछोह तक..राम रावण युध्द से लेकर लक्ष्म रेखा खींचे जाने के प्रसंग तक और धनुष तोड़े जाने के घटनाक्रम तक इस दास्तान में सबकुछ उर्दू जुबान में बयां होता है. राम कथा जब उर्दू में सुनी जाए तो हर किस्से में किसी लंबी शायरी का गुमां होता है. 45 मिनट में मुकम्मिल हो जाने वाली इस कथा की रुह तो राम ही है. बस कथा का तर्जुमा बदल जाता है. और ये पैगाम और मजबूत हो जाता है कि देखिए सुनिए तो सही राम तो सबके हैं.
ये है दास्तान ए राम:भगवान राम के जन्म की कथा से लेकर वनवास सीता का बिछोड़ लक्ष्मण की मूर्छा और राम रावण युद्ध तक. राम की कथा का हर क्लाईमैक्स दास्तान ए राम में शामिल हुआ, लेकिन देश की पहली महिला दास्तानगो फौजिया दास्तानगो यानि दास्तान ए राम जब सुनाती हैं. तो ये कहानी की तरह होते हुए भी एक लंबी शायरी का गुमा दे जाती है. राम कथा पर तैयार हुई फौजिया की इस दास्तान गोई को दानिश इकबाल साहब ने इस खूबी से पिरोया है कि आखिर तक सुनने वाले का सिलसिला ना टूटे. जानकी के जनम की बयानी सुनिए. सूखा पड़ा तो आई घड़ी इम्तेहान की चलना था हल जनक का निकल आई जानकी. राम कथा के अलग अलग हिस्से, उर्दू अल्फाज़ों में उतरते हैं तो शायरी के लहज़े में चढकर सुनने वाले कानों तक पहुंचते हैं.
भोपाल में पहली बार हुई दास्तान ए राम: रवीन्द्र भवन में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ स्वराज संस्थान संचालनालय ने तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया था. भारतीय ज्ञान परंपरा का वैश्विक योगदान विषय़ पर आयोजित इस विमर्श का हिस्सा था ये आयोजन. फौजिया दास्तानगो की दास्तान ए राम. दानिश इकबाल की कपाइल और डिज़ाइन की गई इस दास्तेन ए राम में फौजिया और रितेश यादव की मौके से बदलती जाती अदायगी ने भी चार चांद लगाए.